तुम्हारे चले जाने से

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जीवन की खुशी कही खो गई तुम्हारे चले जाने से,
अब तो ये दिन भी नही गुजरता तुम्हारे चले जाने से,
तुम्हे देखने और मिलने को तरस जाती ये अखिया तुम्हारे चले जाने से,
पंछियों की आवाज भी कर्कश हो गई तुम्हारे चले जाने से,
अब तो ये पानी भी मेरी प्यार नही बुझाती तुम्हारे चले जाने से,
भोजन का स्वाद मानो चला गया तुम्हारे चले जाने से,
अब ये जीवन भी उदास बन गया तुम्हारे चले जाने से,
आँखों और चेहरे की चमक भी खो गई तुम्हारे चले जाने से,
तेरे साथ बिताये हर लम्हे याद आते तुम्हारे चले जाने से,
अब तो ये चाँद भी मानो शितलता देना छोड़ दिया तुम्हारे चले जाने से,
फलो की मीठास भी खो गई तुम्हारे चले जाने से,
ये मन और दिमाग मेरे बस में नही तुम्हारे चले जाने से,
तेरा हँस के बाते करना और तेरा प्यार जताना बहुत याद आता तुम्हारे चले जाने से,
ये रात भी अब नही गुजरते तुम्हारे चले जाने से,
अब तो भोले के ही सहारे हो गया तुम्हारे चले जाने से,
तेरे प्यार में मैं उस सीढ़ी पे चढ़ गया हूं जो मुझे फिर से नीचे ले आती तुम्हारे चले जाने से,

काशीवंशी राहुल चौधरी
रामनगर, वाराणसी

                   

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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