‘हाँ मैं मजदूर हूँ’

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devendr joshi
नहीं चाहिए तुम्हारी झूठी

संवेदना,खोखली हमदर्दी,

और फरेबी शाब्दिक जुगाली।

मत करो मजदूर दिवस

की आड़ लेकर मुझे इन्सानी

बिरादरी से अलग।
कर्म तुम भी करते हो

कर्म मैं भी करता हूँ,

जिन्दगी से परेशान तुम भी,

परेशान मै भी..

तो  फिर सिर्फ मेरी ही बेबसी,

लाचारी और बदहाली पर

ये घड़ियाली आंसू क्यों? ?
मैं अपनी जिंदगी से उतना परेशान

कभी नहीं रहा,जितना जिन्दगी से

परेशान उन लोगों ने

मुझे बना दिया है,

जो अपने अवसाद की हताशा

को मेरी बेबसी से ढंक देना चाहते हैं।
जानकारी के लिए बता दूँ,

मैं अपनी जिंदगी से खुश हूँ..

रोज कमाते हैं रोज खाते हैं,

शाम होने पर फुटपाथ पर

अखबार बिछाकर सो जाते हैं..

याद रहे मजदूर कभी ,

नींद की गोली नहीं खाते।
एक-दूजे के दुख-दर्द में

हिस्सा बंटाते हैं,

और वक्त आने पर देश और

समाज  के भी काम आ जाते हैं।
साल में एक बार

मुझ पर तरस खाने वालों !

मुझे तुम पर  तरस आती है कि,

मकान के गढ्ढे खोदने से लेकर

नल सुधरवाने और दूसरी मंजिल

पर गेहूँ की बोरी चढ़वाने

तक हर छोटे-मोटे काम

के लिए मेरे आगे गिड़गिड़ाने

वाले ही आज मेरी दुर्दशा

पर आंसू बहा रहे हैं।
जरा सोचो कि जिस दिन,

दुनिया के सारे मजदूर

हड़ताल पर चले जाएंगे,

उस दिन तुममें से कितने लोग

लाचार नजर आएंगे ?

शुक्र है कि हममें अभी

अपना काम खुद करने की,

आदत शेष बची है..

वर्ना तुम्हारी

तरह हमारा भी भगवान

ही मालिक होता।
जब हम और तुम एक ही माटी

के बने पुतले हैं,

तो फिर यह विभेद कैसा?

दौलत की चकाचौंध में

तुम हमदर्दी जताने का सलीका

भी भूल गए।

गले से लगाना और

पास बिठाना तो बहुत बड़ी

बात होगी,

अगर हो तुममें साहस

और सच्ची हमदर्दी तो आज,

मजदूर दिवस पर अपने

कलेजे पर हाथ रखकर

करो इस सच्चाई को स्वीकार

कि ‘हाँ मैं मजदूर हूँ’..।

                                                                            #डॉ. देवेन्द्र  जोशी

परिचय : डाॅ.देवेन्द्र जोशी गत 38 वर्षों से हिन्दी पत्रकार के साथ ही कविता, लेख,व्यंग्य और रिपोर्ताज आदि लिखने में सक्रिय हैं। कुछ पुस्तकें भी प्रकाशित हुई है। लोकप्रिय हिन्दी लेखन इनका प्रिय शौक है। आप उज्जैन(मध्यप्रदेश ) में रहते हैं।

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।