सृष्टि का निर्माण नित-नित नदियाँ करतीं
प्रकृति का श्रृंगार हरदम नदियाँ करतीं
मनुज ही नहीं, हर प्राणी को जीवनदान देतीं
हमारे देश में नदियाँ अमरता का वरदान देतीं
लेकिन अब आदमी के स्वार्थ ने –
होकर निर्लज्ज, उत्खनन की तोड़ी है सीमा
जलचर जीवों को दिया है जहर धीमा
प्रदूषण का ऐसा करतब दिखाया
नदियों को कीचड़वाला नाला बनाया
मानवी उत्पात ने खुद मानव को संकट दिया है
आधुनिक विकास ने ही विनाश पैदा किया है
घुट-घुट मरती नदिया की धारा
मत भूल मनुज मरी नदियाँ तो मरेगा जग सारा
अगर देर हो गई तो लुप्त होंगे-
मीन, कछुए, सीपी, घड़ियाल…
आयेगी प्रकृति प्रलय, मनुज तू होगा बहुत बेहाल
समय रहते चेत जा रे
बहने दें स्वच्छ निर्मल नदी की धारा
नदियाँ बचाओ ! कर्त्तव्य है हमारा-तुम्हारा
#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl