
गम के ये पहाड़ से दिन
ऐ जिंदगी तू कब तक दिखायेगी
मैं रंगूगा नहीं तेरे रंग में
मैं जिऊंगा उसी ढंग में
जैसा बनाया परमेश्वर ने मुझे…
मैं एक समस्या सुलझाता हूँ
तू सैकड़ों लाकर खड़ी कर देती है मेरे सामने
पर तू इतनी सी बात मेरी सुनले
मैं टूटूंगा नहीं /
मैं झुकूंगा नहीं /
मैं रूकूंगा नहीं /
मैं डरूंगा नहीं |
जैसे खिलता कमल कीचड़ में
जैसे रात के बाद होता है सवेरा
ठीक वैसे ही
तू गायेगी मधुर गीत
बंद होगा तेरा रुदन
और महक उठेगा मेरा उजड़ा चमन…
मैं दूंगा तेरा हर इम्तहान
ऐ जिंदगी
तू बेशक रुठ जाये मुझसे
पर मैं न कभी रुठूंगा तुझसे |
#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl