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नही दिखाते जब मुझे
तो दिल व्याकुल रहता।
तमन्नाए दिल की
बहुत चंचल होती है।
पर ये दिल है कि कही और लगता ही नही।
जबकि में जानता हूँ कि वो मेरी कोई नही।।
करू तो क्या करू
की दिल मचाले न मेरा।
मेरी बैचैनी का
दर्द समझेगा कोई मेरा।
मगर यहां तो सब
जले पर नमक लगाते है।
फिर दूर बैठकर तमाशा दर्द का देखते है।।
कही कोई पागल कहते है
तो कोई घायल कहता है।
मगर हकीकत से सभी बहुत दूर रहते है।
इसलिए तो लोग मोहब्बत से घबराते है।
सिर्फ देखा देखी में जीवन वो बिताते हैं।।
# संजय जैन (मुम्बई)
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