
इस तरह कैसे मैं रोकू खुद को उन से बात करने को,
मैं उस तरह उन के नम्बरो को देख लेता हूं,
उन में छुपी उन की यादों को ढूंढ लेता हूं,
सायद वो भी बैठे होगे मेरी याद में तनहा,
तभी चाँद के पहले मुझे याद कर लेते है।
कभी इस तरह हो जाता हूं तन्हा याद में उन की यादों में,
कभी देखु उन की फ़ोटो को तो कभी उनके नंबर को।
कभी छोड़ जाते है तन्हा मुझे यादों को देकर के,
बोल देते है इन्ही के सहारे आज की रात काट लो जी,
कल को फिर चाँद निकले गा उस के साथ ही आये गे,
ये बादल भी क्या रोके गे हमे तुम से यू मिलने से,
बादलो को भी चीर के तेरा दीदार कर लेगे।
आज उस पगली ने सच मुच रुला दिया,
परिवार की खुसी के लिए मुझ को भुला दिया।
तुम को जाना है तो जाओ,
परंतु इस दिल से तुम्हारी यादो को कैसे निकालू।
तुम को अगर जाना ही था,
तो इस दिल में आई ही क्यूँ थी।
जब आईना था तो सभी मुझ से अपना हाल पूछते थे,
आज टूट गया हूं तो कोई देखता भी नही है।।
आज भी मैं तुम्हारे नम्बर पे फ़ोन कर लेता हूं,
काश किसी दिन तुम को भी मेरी याद आये,
औऱ तुमहारे होने का अहसाह फिर से हो जाये।
#राहुल चौधरी
परिचय: राहुल चौधरी जी की जन्मतिथि 19 जनवरी 1995 और जन्मस्थली रामनगर-वाराणसी है। पिताश्री राजेश कुमार एवं माताश्री सुमन देवी के लाडले सुपुत्र श्री चौधरी साहब कोमल हृदय एवं धनी व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं। रामनगर से ही इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात आपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी से स्नातक किया। इसके अलावा एनसीसी,एन०एस०एस० और स्काउट गाइड की भी शिक्षा प्राप्त की। लेखन कार्य,बैटमिंटल और कैरम के शौकीन श्री चौधरी जी की विधाएं कविता एवं लघुकथाएं हैं। वर्तमान समय में आपका कार्यक्षेत्र अध्यापन, लेखन के साथ-साथ डीएलएड (बीटीसी) के क्षेत्र में कार्यरत हैं।