
नए साल का है आगमन, खुशियां मना रहा सारा जहान है!
मेरे देश का दुर्भाग्य देखो, सड़क पर बैठा आज किसान है!!
अपना हक पाने के लिए, देख रोड़ पर आया अन्नदाता है!
वो राजनेता ही जवाब दे, जो इनका उगाया नही खाता है!
गर्मी हो सर्दी हो या हो बरसात, ये खून पसीना बहाता है!
सबका पेट भरकर भी ये, अपने हक से वंचित रह जाता है!
सरकार की चाल देखो, किसान के सामने किया जवान है!
नए साल का है आगमन,खुशियां मना रहा सारा जहान है!!
नया साल मुबारक बोलने वालों, शर्म ना तुमको आयी है!
लाठियां बरसवाते अन्नदाता पर, ये रक्षक हैं या कसाई है!
हर बार “मलिक”की कलम ने,किसान की बेबसी जताई है!
अल्फाज ना समझ “सुषमा” इसे, ये हालात की सच्चाई है!
कमजोर ना मान किसान को,बहुत नजदीक तेज तूफान है!
नए साल का है आगमन, खुशियां मना रहा सारा जहान है!!
सुषमा मलिक “अदब”
रोहतक (हरियाणा)