
फूलों की कहानी कलियों ने लिखी।
आसमान की कहानी सितारों ने लिखी।
नदियों की कहानी
उसके जल ने लिखी।
इन्सान की कहानी
खुद इंसान ने लिखी।
इसलिए वो बना बटी सी लगती है।।
फूल खिलकर भी उदास है।
समुद्र को आज भी पानी
की प्यास है।
हम क्यो औरो की बात करे।
जब अपनो को अपने ही
लूटने को तैयार खड़े।।
दिल मे आज भी प्यार की प्यास है।
इसलिए मुझे अपनो की तलाश है।
की किस के अंधरे घर मे
हम रोशनी कर सके।
पर यहां तो सिर्फ दिखावे का ही रिवाज है।।
कहाँ से चले थे कहां तक पहुंच गए।
बचा अब क्या है जिसे फिरसे लूटने आ गए।
न बचा है अब भाईचारा,
और न ही बचा अपनापन।
तभी तो लूटे जा रहे
बहिन बेटियों
की इज्जत को ।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।