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वह हुनर किस काम का,
जो किसी के काम न आए ?
वह मनुष्य मनुष्य क्या,
जो मनुष्य के काम में न आए ?
वह धर्म भी किस काम का,
जो गैरों से बैर करना सिखाए ?
धरा पर शत धर्म,सबको,
प्रेम पथ पर चलना सिखाए॥
चोरी-ठगी-बेईमानी,
का हुनर बेकार है।
अपरबल बन उसे सताता,
जो गरीब लाचार है॥
हुस्न तुम्हें गर खुदा दिया,
क्यों सताता तन किसी का।
दम है तो उसे प्यार कर,
क्यों दुखाता मन किसी का॥
हुनर नर का हुस्न है,
औरतों का लाज ज्यों।
जो जीव जगत के काम आए,
बेताज बादशाह सो॥
#रामभवन प्रसाद चौरसिया
परिचय : रामभवन प्रसाद चौरसिया का जन्म १९७७ का और जन्म स्थान ग्राम बरगदवा हरैया(जनपद-गोरखपुर) है। कार्यक्षेत्र सरकारी विद्यालय में सहायक अध्यापक का है। आप उत्तरप्रदेश राज्य के क्षेत्र निचलौल (जनपद महराजगंज) में रहते हैं। बीए,बीटीसी और सी.टेट.की शिक्षा ली है। विभिन्न समाचार पत्रों में कविता व पत्र लेखन करते रहे हैं तो वर्तमान में विभिन्न कवि समूहों तथा सोशल मीडिया में कविता-कहानी लिखना जारी है। अगर विधा समझें तो आप समसामयिक घटनाओं ,राष्ट्रवादी व धार्मिक विचारों पर ओजपूर्ण कविता तथा कहानी लेखन में सक्रिय हैं। समाज की स्थानीय पत्रिका में कई कविताएँ प्रकाशित हुई है। आपकी रचनाओं को गुणी-विद्वान कवियों-लेखकों द्वारा सराहा जाना ही अपने लिए बड़ा सम्मान मानते हैं।
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Mon Dec 11 , 2017
(दिलीपकुमार की वर्षगाँठ पर विशेष) बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी,होंठों पर फबती हंसी,उबाल खाता जोश,अभिनय में बर्फ-सी शीतलता के साथ अभिव्यक्ति की तीव्रता,जिसकी खूबी का बखान करते वक्त एक बार तो सारे विशेषणों, उपमाओं और उपमेयों का भंडार भी अपर्याप्त-सा महसूस होने लगे,जिसे कभी ‘ट्रेजडी किंग’ कहा जाए तो कभी अभिनय का […]