तुझको मुक्त कर दिया’

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mahendr
तेरा परिचय जानूगाँ अब’
दूर कहीं सम्बन्धों से।
मैंने तुझको मुक्त कर दिया’
प्यार भरे अनुबंधों से।
पूछ रही मेरी जिज्ञासा’
मधुमय मिलन कहाँ पर होगा।
पूछ रही है प्रीत ये प्यासी’
निर्मल जलधि कहाँ पर होगा।
हम प्रेम नगर का पता पूछते’
फिर सावन के अँधों से।
मैंने तुझको मुक्त कर दिया’
प्यार भरे अनुबंधों से।
तेरे वादों ने भरमाया’
वो झूठे संवाद तुम्हारे।
मैं तो उलझा उलझा-सा’
वो झूठे परिवाद तुम्हारे।
प्रीत की डोली गिर सकती है’
फिर कहार के कँधों से।
मैंने तुझको मुक्त कर दिया’
प्यार भरे अनुबंधों से।

                                                                                              #एड.महेन्द्र श्रीवास्तव

परिचय : एडवोकेट महेन्द्र श्रीवास्तव दमोह (म.प्र.)में रहते हैं। आपको लेखन के लिए महेश जोशी स्मृति सम्मान सहित साहित्य मेला इलाहाबाद में भी सम्मानित किया गया है। चित्रगुप्त न्यास दमोह द्वारा भी सम्मानित हैं।

matruadmin

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