भावना या दिखावा

0 0
Read Time2 Minute, 26 Second

गये थे आज मंडी में
लेने को कुछ फूल।
वहां जाकर देखा तो
एक दम दंग रह गए।
की जो फूल लेने को
हम वहां गए है।
वो सारे फूल पहले से
पैरों में पड़े हुए है।
अब में कैसे उन्हें लू
और प्रभु के चरणों मे
कैसे चढ़ाऊँ।।

सही में लगता है कि
किसी कोई कीमत नही।
सभी चीजों को लोगो ने
व्यापार जो बना लिया।
तभी तो फूल जैसा नाजुक
पड़ा है लोगो के पैरों में।
जब प्रभु को ही नही बख्शा,
तो हम तुम की क्या औकात है।।

इसलिए आज कल
नही दिखते है प्रभु।
क्योकि मंदिरों को भी
लोगो व्यापार बन लिया।
अब रहेगी कैसे आस्था लोगो की प्रभु में।
जो पूजा की भी सूची
लगा दी है मंदिरों में।।

गए थे फूल लेने को,
पर खाली हाथ वापिस आ गए।
नही चढ़ाना अब प्रभु को,
फूल और पैसे भी।
जो करते थे खर्च हम,
इन सब चीजों में।
वो पैसे से अब किसी,
बच्चे को हम पढ़ाएंगे।
और उसे एक नेक
इंसान हम बनायेगे।।

#संजय जैन 

परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों  पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से  कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें  सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की  शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

स्वच्छता

Thu Oct 10 , 2019
मौसम करवटे ले रहा है रहिए आप भी सावधान शीत ऋतु का आगमन है रखिए अपनी सेहत का ध्यान बदलते मौसम में स्वच्छता का ध्यान रखना बेहद जरूरी त्यौहारों का मौसम आ गया घर की साफ सफाई है जरूरी पानी एकत्र कही होने न पाए मच्छरों से बचना बहुत जरूरी […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।