मनुष्य के जन्म की भाषा है हिन्दी

0 0
Read Time3 Minute, 4 Second

DSCN6170
रुड़की |

दिशा शिक्षा ट्रस्ट व केंद्रीय विद्यालय संख्या एक की ओर से विश्व हिन्दी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम मे ट्रस्ट के संरक्षक एवम् साहित्यकार श्रीगोपाल नारसन ने कहा कि हिन्दी ही एक मात्र ऐसी भाषा है जो मनुष्य के जन्म से जुड़ी है।नवजात शिशु के रुदन से निकलने वाले वाले स्वर व व्यंजन हिन्दी भाषा को ही रेखांकित करते है।उन्होंने हिन्दी से सम्बंधित अपनी कई रचनाये सुनाई और कहा कि ‘चाहे अल्लाह हो या ओमेंन,ओम वही से आता है,सारे संसार की भाषा का देवनागरी से नाता है’।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि ट्रस्ट के अध्यक्ष फिरोज अहमद ने कहा कि रचनात्मक कार्यो से ही बच्चों का सर्वांगीण विकास सम्भव है।उन्होंने ट्रस्ट द्वारा किये जा रहे कार्यो की भी जानकारी दी और बच्चों से संवाद व लेखन का आव्हान किया।जिला उद्योग केंद्र के अधिकारी सूर्यकांत त्रिपाठी ने भी हिन्दी मे कामकाज को अपनाने पर बल दिया।विद्यालय के प्राचार्य विपिन त्यागी ने कहा कि हिन्दी हमारे संस्कारो की भाषा है और हिन्दी प्रति स्पर्धाओं मे बच्चों के हिन्दी के प्रति अपने लगाव को प्रदशित कर सराहनीय कार्य किया।अध्यापक आलोक गुप्ता व श्री नीलम के संयुक्त सञ्चालन मे आयोजित हिन्दी दिवस समारोह मे दिशा शिक्षा प्रेरक ट्रस्ट की ओर से राष्ट्रपति पुरुस्कार प्राप्त करने जा रहे बच्चों,कांवड़ सेवा मे योगदान करने वाले बच्चों व उनसे सम्बंधित अध्यापको को ट्रस्ट की ओरसे प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।वही ट्रस्ट की ओर से श्रीगोपाल नारसन व फिरोज अहमद द्वारा प्राचार्य विपिन त्यागी को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।हिन्दी प्रतियोगिताओ के व स्वच्छता अभियान के विजेताओ को अतिथियों द्वारा पुरुस्कृत किया गया।उपप्राचार्य मदन पाल सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया व पुम शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया।विद्यालय की ओर से अतिथियों को श्री राम चरित मानस पुस्तक भेंट की गई।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

कुछ ख़्वाब बुन लेना जीना आसान हो जायेगा

Fri Sep 14 , 2018
कुछ ख़्वाब बुन लेना जीना आसान हो जायेगा दिल की सुनलेना मिज़ाज शादमान हो जायेगा मुद्दत लगती है दिलकश फ़साना बन जाने को हिम्मत रख वक़्त पे इश्क़ मेहरबान हो जायेगा टूटना और फिर बिखर जाना आदत है शीशे की हो मुस्तक़िल अंदाज़ ज़माना क़द्रदान हो जायेगा लर्ज़िश-ए-ख़याल में ज़र्द किस काम का है बशर जानें तो हुनर तिरा मुल्क़ निगहबान हो जायेगा मंज़िल-ए-इश्क़ में बाकीं हैं इम्तिहान और अभी ब-नामें मुहब्बत ‘राहत’ बेख़ौफ़ क़ुर्बान हो जायेगा डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 181

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।