
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानि आई आई टी रुड़की के शुक्रवार को हुए दीक्षांत समारोह में एक मिनट में 2029 छात्र छात्राओं को दीक्षित कर डिग्री प्रदान कर दी गई।जबकि ये सभी छात्र छात्राएं राष्ट्रपति के हाथों डिग्री लेने का सपना सँजोकर आये थे।राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केवल मैडल व अवार्ड ही चन्द छात्र छात्राओं को मंच पर बुलाकर प्रदान किये।इस अवसर पर अपने सम्बोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि यहां से उपाधि प्राप्त युवाओ का भविष्य असीम सम्भवनाओ से भरा है।उन्होंने कहा कि यहां के विद्यार्थियों का कैरियर बहुत बेहतर है और वे देश व समाज की सेवा अच्छे ढंग से कर सकते है।उन्होंने आईआईटी जो कभी इंजीनियरिंग कॉलेज हुआ करता था के स्वर्णिम इतिहास व राष्ट्र के प्रति इस संस्थान के योगदान की भी चर्चा की।राष्ट्रपति कोविंद ने ए एन खोसला को याद करते हुए भाखड़ा ,हिमकुड़ बांध में उनकी भूमिका का स्मरण किया।उन्होंने भूकम्प के क्षेत्र में जयकृषणा के योगदान का भी जिक्र किया।राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा पर खर्च होने वाला धन टैक्स के रूप में लोगो की जेब से आता है इसकारण विद्यार्थियों को कैरियर के दौरान अपने देश और समाज का ऋण चुकाने के लिए आगे आना चाहिए।उन्होंने आईआईटी निदेशक से पूर्व विद्यार्थियों से संस्थान के लिए सेवाएं लेने की बात कही ।उन्होंने आईआईटी के इसरो के साथ मिलकर काम करने को एक बड़ी उपलब्धि बताया व लड़कियों के लड़कों से आगे बढ़ने को एक शुभ संकेत कहा।उन्होंने चन्द्रयान -2 के मिशन को 98 प्रतिशत सफल बताते हुए संस्थान से सामाजिक दायित्व निर्वहन करने के लिए भी नसीहत दी।राष्ट्रपति व मानव संसाधन मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के सम्बोधनों में आईआईटी रुड़की द्वारा 5 गांव को गोद लेकर वहां विकास कार्य कराने के दावे किसी को भी हजम नही हुए।सपत्नीक दीक्षांत समारोह में आये राष्ट्पति की पत्नी का संस्थान निदेशक स्वागत करना ही भूल गए।जबकि मानव संसाधन मंत्री डॉ निषंक ने देश की प्रथम महिला को पूजनीय कहकर संबोधित किया।राष्ट्रपति आगमन से डेढ़ घन्टा पहले ही दीक्षांत सभागार में बंधक बना दिये गए श्रोताओं को वाशरूम तक नही जाने दिया गया।स्वयं ही निदेशक व स्वयं ही बोर्ड ऑफ गवर्नर की भूमिका निभा रहे अजीत कुमार चतुर्वेदी ने खुद ही दीक्षांत समारोह शुरू करने की घोषणा की और खुद ही एक मिनट में 2029 छात्र छात्राओं को एक साथ उन्हें खड़ा करके दीक्षित कर दिया।मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ निशक ने 172 वर्ष के आईआईटी इतिहास पर प्रकाश डालते हुए 24 देशो के बच्चों को यहां आकर पढ़ने व डिग्री लेने को ऐतिहासिक घड़ी बताया।उन्होंने हिमालय की सुरक्षा के लिए सकारात्मक उपाय खोजने व नई शिक्षा नीति से बदलते स्वरूप पर भी चर्चा की।मुख्य मंत्री त्रिवेंद्र रावत ने भूकम्प की पूर्व भविष्य वाणी को लेकर चर्चा की तो तनाव खत्म करने के लिए योग के रास्ते पर चलने का आह्वान किया।इस अवसर पर राज्यपाल बेबी रॉनी मौर्य भी मौजूद रही लेकिन उन्होंने दीक्षांत समारोह को सम्बोधित नही किया।समारोह तक पहुंचने के लिए पत्रकारों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी।निमन्त्रण पत्र होने पर भी कइयो को प्रवेश के लिए सुरक्षा कर्मियों से उलझते देखा गया।सभागार में प्रवेश से पहले ही प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कैमरे व मोबाईल बहार जमा करा लिए गए जिसकारण फोटो व वीडियो के लिए मीडिया को आईआईटी प्रशासन पर निर्भर रहना पड़ा।