नाॅनसेंस

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  गंभीरता से विचार करें तो मां की कोख से लेकर श्मशान घाट अर्थात मरघट तक की अंतिम यात्रा 'नॉनसेंस' ही तो है। जिसे हिन्दी में मूर्खता, बेतुकी बकवास, हास्यास्पद, वक्तव्य, बेतुका व्यवहार, निरर्थक बात इत्यादि कहते हैं।
  अब बात सेंस की करें तो उसे हिन्दी में इन्द्रिय, ज्ञान शक्ति, होश, हवास, बोध, ज्ञान, समझ, इन्द्रियबोध, विवेक, मत, अर्थ, तात्पर्य, अनुभव, दिशा, पहचान, भाव, भावना, सुध, बुध्दि, योग्यता, सामान्य ज्ञान, अभिप्राय, मानसिक संतुलन इत्यादि कहते हैं।
  किन्तु सम्पूर्ण सृष्टि में एक साधारण से साधारण मानव दूसरे साधारण से साधारण मानव को नाॅनसेंस उसी अवस्था में कहता है। जब वह स्वयं को अत्यंत बुध्दिमान और दूसरे को नितांत मूर्ख अर्थात अत्यंत बुद्धिहीन अर्थात पागल समझता है।जो एक पीड़ादायक विडम्बना है। जिसे अमानवीय संज्ञा देना कोई अपराध नहीं है।
  क्योंकि मानव को स्वाभिमान से जीने का अधिकार हमारे संविधान ने धारा 21 में कुशलतापूर्वक वर्णन किया हुआ है। जिसके फलस्वरूप उसके स्वाभिमान को या भावना को ठेस पहुंचाना अपराध माना गया है।
  और तो और संविधान के अनुसार स्वस्थ मानव की तो बात ही छोड़ो, किसी काले को काला, करूप को करूप, पागल को पागल कहने मात्र को क्रूरतम से क्रूरतम आपराधिक श्रेणी में रखा गया है। जिसकी नित्य धज्जियां उड़ते मैं हर रोज, हर पल स्वयं देखता व अनुभव करता हूं। किन्तु जिस समाज ने शनिदेव जी को नहीं छोड़ा तो हम किस खेत की मूली हैं? सम्माननीयों

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।