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राजा तेरे राज में यह कैसी हाहाकार है,
प्रजा को न्याय नहीं तेरी यह कैसी सरकार है,
बेटियों की इज्जतें क्यों रुसवा हो रही,
अस्मते है लूट रही क्यों बेटियां है रो रही,
आंसू पोछने वालों से ही क्यों मिली दुत्कार है,
राजा तेरे राज में यह कैसी हाहाकार है,
प्रजा को न्याय नहीं तेरी यह कैसी सरकार है,
न्याय मांगे जो यहां क्यों मिल रही उसे गोलियां,
ताने सुनती चीखती लुटा बैठी जो अपनी झोलियां,
होना था रोशन जिसे क्यों मिला उसे अंधकार है,
राजा तेरे राज में यह कैसी हाहाकार है,
प्रजा को न्याय नहीं तेरी यह कैसी सरकार है,
परिवार का बलिदान भी अब तो उसने दे दिया,
खुद भी शायद ना बचे स्वयं को ही है अर्पण किया,
आखिरी क्षण तक यही अब उस अबला की पुकार है, राजा तेरे राज में यह कैसी हाहाकार है,
प्रजा को न्याय नहीं तेरी यह कैसी सरकार है,
#सचिन राणा हीरो