देश की बेटी निर्भया

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anantram

निर्भया देश की बेटी थी,
है और हमेशा ही रहेगी..
तुम्हारे दुख दर्द की पीड़ा,
हर किसी के दिल में रहेगी।

उस पर किए गए दुष्कर्म,
दुराचारअत्याचार के..
एक दो चार छः लोगों,
को अपराधी नहीं
मान सकते हैं।

दोषी तो वह सभी हैं,
जो कहते हैं मेरे हाथ..
कानून देश के,
संविधान से बँधे हुए हैं
हम क्या कर सकते हैं।

यही तो मानसिकता,
गलत है..
फिर तो देश का,
कानून संविधान गलत है..
दिल्ली का उच्च न्यायालय,
सबसे बड़ी अदालत भी दोषी है
अदालतों में लाखों,
प्रकरण लम्बित थे।

इसको भी रहने देते,
या पहले फैसला करते..
आम जनता चेत जाती,
हो-हल्ला मचाती..
संसद के माध्यम से,
सरकार तक पहुँचाती..।

जुवेनाइल एक्ट को,
जल्दी पास कराती..
बड़ी अदालत ने,
हाथ खड़े कर दिए..
वही बहाना कानून से
मेरे हाथ वंधे हैं।

किसी भी बिन्दु को,
लेकर रोक लगाती..
सरकार को आदेश,
देती कुछ तो करती।

जुवेनाइल एक्ट,जो
बाद में बना पहले बनता..
वह दोषी दुराचारी,
दुष्कर्मी तो नहीं छूटता।

उच्च पदों पर बैठे सभी,
तो दोषी लगते थे..
वो चाहते तो सब,
कुछ कर सकते थे।

रही आम जनता की,
वह क्या कर सकती थी..
अदालतों के खिलाफ बोलने,
पर अवमानना होती थी।

एक आतंकवादी की रात्रि,
दो बजे तक सुनवाई की थी..
राम मंदिर का मामला,
कितने सालों सेअदालत
में अटका पड़ा है।

अदालतों का ये कैसा,
मुँह देखा अन्यायपूर्ण
फैसला है..
क्या ऐसे कानून,
संविधान पर जनता
विश्वासकर पाएगी
बस ऐसे ही जुर्म
सहती रही है,
सहती ही जाएगी।

बेटी निर्भया का,
अत्याचार सिर्फ निर्भया..
का नहीं रह गया,
इतिहास के पन्नों में
छपकर रह गया।

                                                                      #अनन्तराम चौबे

परिचय : अनन्तराम चौबे मध्यप्रदेश के जबलपुर में रहते हैं। इस कविता को इन्होंने अपनी माँ के दुनिया से जाने के दो दिन पहले लिखा था।लेखन के क्षेत्र में आपका नाम सक्रिय और पहचान का मोहताज नहीं है। इनकी रचनाएँ समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती हैं।साथ ही मंचों से भी  कविताएँ पढ़ते हैं।श्री चौबे का साहित्य सफरनामा देखें तो,1952 में जन्मे हैं।बड़ी देवरी कला(सागर, म. प्र.) से रेलवे सुरक्षा बल (जबलपुर) और यहाँ से फरवरी 2012 मे आपने लेखन क्षेत्र में प्रवेश किया है।लेखन में अब तक हास्य व्यंग्य, कविता, कहानी, उपन्यास के साथ ही बुन्देली कविता-गीत भी लिखे हैं। दैनिक अखबारों-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। काव्य संग्रह ‘मौसम के रंग’ प्रकाशित हो चुका है तो,दो काव्य संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होंगे। जबलपुर विश्वविद्यालय ने भीआपको सम्मानित किया है।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।