ग्रहण

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babulal sharma
चद्र ग्रहण को देखकर,
 मन में उठे विचार।
कोई अछूता न बचा,
 समय चक्र की मार।।
चंदा,सूरज को ग्रहण,
देता प्राकृत चक्र।
इसी भाँति इंसान को,
समय सताता वक्र।।
धीरज से कटता ग्रहण,
होय समय बदलाव।
मानुष मन धीरज रखो,
ईश्वर संग लगाव।।
सृष्टि सौर संयोग में,
मत बन बाधा वीर।
मानवता हित नित हरो,
प्राणी जन की पीर।।
मानव हो मानव बनों,
राखो मन सद्भाव।
हानि लाभ जीवन मरण,
ईश दृष्टि समभाव।।
नाम– बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

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