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मैंने हल्की नाराजगी में उससे कहा -“तुम खुद तो इस दयनीय दशा में मजदूरी करती ही हो अब अपनी 10 साल की बेटी पर भी इतने भारी तसले रखना शुरू कर दिया ! कितना समझाया था तुम्हें इसे स्कूल भेजने के लिए ! फ्री में सिलाई सीखने को मिल रही थी मशीन भी मिलती! ना ही तुमने इसे वहां भेजा और ना ही स्कूल। ले आई यहां मजदूरी करने। सारी उम्र इससे यही करवाना है क्या ? उसने नम्रता से उत्तर देते हुए कहा – “मैडम जी हमारा यही काम है ।ये नहीं करेगी तो क्या करेगी? और फिर आप अपने स्कूल में बिना आधार थोड़ा बहुत पढ़ा भी देती तो उससे क्या होता। करनी तो फिर भी मजदूरी ही है । इतना इतना पैसा लगा ,दिमाग लगा ,अच्छे अच्छे ,पढ़े-लिखे तो चौकीदारा की नौकरी पा रहे हैं । हम थोड़ा पढ़ कर क्या पा लेंगे । “
मैं उसे यह भी ना कह सकी कि मान सम्मान और थोड़ा ज्ञान जीवन की राह सरल कर देता है ।
परिचय-
नाम ___डॉ मीना कुमारी सोलंकी
जन्म स्थान ___नीमली ,चरखी दादरी, हरियाणा
पिता ___सूबेदार शीशराम
माता ___श्रीमती फूलवती टेलरणी
योग्यता ___एम ए ,एमफिल ,पीएचडी हिंदी ,एम ए एजुकेशन ,जेबीटी ,बीएड , टैट ,स्क्रीनिगं आदि
व्यवसाय ___अध्ययन, अध्यापन
रुचि ____नृत्य ,गायन, अभिनय, वादन ,डीबेट करना आदि
विशेष __स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पत्र पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन तथा कवि सम्मेलन एवं सेमिनारों में सहभागिता।
पत्राचार__ डॉ मीना कुमारी c/o देईचंद सांगी
गांव व डाकखाना –सांखोल
तहसील -बहादुरगढ़
जिला -झज्जर (हरियाणा )
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Fri Jun 21 , 2019
सृष्टि के समस्त कलमकार पागल हैं। यशकर्ता विघनहर्त निराकार पागल हैं।। प्राकृतिक पागल हैं जो करते हैं यहां। किसी पर मानवता परोपकार पागल हैं।। वर्तमान से भविष्य तक संघर्ष उपरांत। स्वप्न अपने जो करें साकार पागल हैं।। भ्रष्ट न्यायधीश तभी करते नहीं न्याय। वह जांचते याचि का आकार पागल हैं।। […]