ग्रामीण परिवेश ही सफलता की रीढ़

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aashutosh kumar
छात्रों में गजब की संघर्ष करने,परिस्थति से लड़ने के साथ-साथ अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए जुझारूपन होता है।विशेषर ग्रामीण छात्रों में, इनका संघर्ष प्रायः बचपन से ही शूरू हो जाता है।बस निखारने के लिए थोडी देख रेख की जरूरत होती है।बचपन में स्कूल और कोचिंग के साथ घर और खेतो में काम मवेशियों की देखभाल और पढाई करना तो पडता ही है साथ ही गरीबी से जूझना भी पडता है न मन पसंद कपडे होते और न खाने की मनपसंद चीजें, दिक्कतों से नित रू-ब- रू होकर जैसे तैसे मैट्रिक तो गाँव में पास कर लेते हैं फिर शहरो में एडमिशन और खाने की भी गंभीर संकट से गुजरना होता है, पर इतनी छोटी उम्र में भी इनकी परिपक्वता देखते ही बनती है। इनके पिताजी किसी तरह कर्ज लेकर या खेतो को गिरवी रखकर पढाई कराते है । विद्यार्थी भी चित से पढता है पर मन तो शहर की रंग विरंगी दुनिया देखकर हर कदम पर खर्च करना चाहता है।दोस्तो के आगे कई बार लज्जित होना पडता है। शहर की चाटूकारिता से अनभिज्ञ गाँव का लड़का मन मसोस मसोस कर फिर कभी के लिए टाल जाता है।दरअसल सीमित पैसे जो उसके पढाई के लिए दिए जाते उसकी जिम्मेदारी को निभाकर वो सिर्फ अपनी मंजिल की ओर देखता रहता है। कभी भूलचूक से कुछ खर्च हो भी जाता है तो वह अफसोस करता है। अपने पिता के परिश्रम के लिए सोचता भी है।शहर के माहौल में धीरे धीरे वह गति पकडता है।बोलचाल भाषा को लेकर भी दिकक्ते आती है जिसके कारण लज्जित होकर नित सीखना पड़ता है इसी तरह कुछ खट्टे कुछ मीठे अनुभवो के साथ काँलेज की पढाई पूरी होती है।
               दर असल शुरू से गाँव के परिवेश में रहकर शहर आये लड़को को कई दैनिक परेशानियों से गुजरना होता है जिसमें भोजन कपडे बुक फीस कई ऐसी चीजे है जिसकी परेशानी से लड़कर वह परिपक्वता हासिल करता है उसमें परिस्थिति से लड़ने और समयानुकूल कार्य करने की आदत बन जाती है जो उसके सफलता का मार्ग बनाता है जब वह हाईयर एजुकेशन प्राप्त कर लेता है तो एक परिपक्व मानसिकता के साथ बडा से बडा कम्पीटीशन फेश कर अव्वल दर्जे से पास करता है।यही कारण है कि शहर  के लडके/लडकियों के मुकाबले गाँव की सफलता दर ज्यादा है वैसे भी गाँव ने ही अव्वल दर्जे के सबसे ज्यादा प्रशासनिक अधिकारी, सेना के अधिकारी जवान देश को दिए है जो निरंतर जारी है।इनमें देशभक्ति का जज्वा कूटकूट कर भरा होता है।इसलिए तो कहा गया है ग्रामीण विकास ही सफलता की रीढ है।
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बचपन की शरारत
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रात काली चंदा प्यारी
दादी माँ की कहानी प्यारी
टुक टुक देखे तारे बोल
इतने सारे गोल गोल।
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शरारत करता दिन भर
शाम होता पिता का डर
माँ रहती स्नेह भरी
दादी की गोद अनमोल बडी।
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सुबह स्कुल जाते समय
नखरे करते रोज-रोज
बस आती सीटी बजाती
पापा लगाते क्लास रोज।
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स्कुल के दोस्तो में
गिना जाता अव्वल
पापा की क्लास से
आते अच्छे नम्बर।

“आशुतोष”

नाम।                   –  आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम –  आशुतोष
जन्मतिथि             –  30/101973
वर्तमान पता          – 113/77बी  
                              शास्त्रीनगर 
                              पटना  23 बिहार                  
कार्यक्षेत्र               –  जाॅब
शिक्षा                   –  ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन                 – नगण्य
सम्मान।                – नगण्य
अन्य उलब्धि          – कभ्प्यूटर आपरेटर
                                टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य   – सामाजिक जागृति

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।