मोहब्बत कैसे हो गई,
हमें पता ही नही चला।
आंखों का आंखों से मिलना, ही इसका कारण है।
क्योंकि दिलों की बात दिलवाले ही जानते है।
प्यार को प्यार करने वाले ही पहचानते है।
इसलिए आंखों ही आंखों में मोहब्बत हो जाती है।
दो जवां दिलो की धड़कनों को दूर से समझते है।
इसलिए तो आंखों का आंखों से रोज मिलना होता है।
और इसक दूसरे को देख देखकर मुस्काना होता है।
यही से तो दो दिलो में मोहब्बत का उदय होता है ।
साथ ही दोनों के दिलो में कुछ कुछ होने लगता है।
रोज रोज सिलसिला मोहब्बत का यूहीं चलता है।
मन बैचेन और दिल बात करने को व्याकुल होता है।
कैसे भी करके दोनों एक दूसरे के बाज़ू से निकलते है।
और हिम्मत करके दोनों धीरे से कुछ कहते है।
और बातो और मिलने का सिलसिला शुरू होता है।।
हर उम्र के लोगों पर मोहब्बत का रंग चढ़ाता है।
कुछ लोग मोहब्बत करके निखार जाते है।
जैसे उड़ चुनरिया श्याम की मीरा प्यार में रंग गई।
और वो हरि हरि गुन गुनाने के मीरा दीवानी हो गई ।
और सारे जग में प्यार मोहब्बत को अमर कर गई।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।