अंग्रेजी थोपना बंद करो: डॉ. वैदिक

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vaidik

नई दिल्ली|

भारतीय भाषा सम्मेलन के अध्यक्ष और अनेक आंदोलनों के सूत्रधार डॉ. वेदप्रताप वैदिक ने कहा है कि वे किसी भी भारतीय नागरिक पर कोई भी भाषा थोपने के विरोधी हैं, चाहे वह अंग्रेजी हो या हिंदी हो। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु पर हिंदी नहीं थोपने का वे समर्थन करते हैं, लेकिन सारे भारत पर अंग्रेजी थोपने का कड़ा विरोध करते हैं।
डॉ. वैदिक आज नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वे अंग्रेजी के विरोधी नहीं हैं, लेकिन अंग्रेजी की गुलामी के विरोधी हैं। उन्होंने कहा कि भारत के जितने छात्र स्वेच्छा से जितनी विदेशी भाषाएं सीखें, उतना अच्छा है। डॉ. वैदिक स्वयं कई विदेशी भाषाओं के जानकार हैं। पचास साल पहले जवाहरलाल नेहरु विवि में जब उन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति का पीएच.डी. का शोधग्रंथ हिंदी में लिखने का आग्रह किया था, तब संसद हिल गई थी। सभी राजनीतिक दलों ने उनका समर्थन किया था।

डॉ. वैदिक ने कहा कि यदि भारत के शासन, प्रशासन, संसद, अदालत, उच्च शिक्षा, व्यापार-रोजगार आदि से अंग्रेजी की अनिवार्यता समाप्त हो जाए तो देश के सारे नागरिक एक-दूसरे की भाषा अपने आप सीखेंगे। तमिलभाषी हिंदी सीखेंगे और हिंदीभाषी तमिल सीखेंगे। भारत की सच्ची एकता मजबूत होगी। यदि नौकरियों की भर्ती में अंग्रेजी अनिवार्य नहीं होगी तो भला कौन भारतीय अपना पेट काटकर अपने बच्चे को मंहगे अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाना चाहेगा।

डॉ. वैदिक ने नई शिक्षा नीति की रपट में उस अंश की बहुत तारीफ की है, जिसमें अंग्रेजी थोपने की हानियां गिनाई गई हैं, लेकिन उन्हें आश्चर्य है कि अपने आपको राष्ट्रवादी कहनेवाली इस सरकार ने अंग्रेजी को नहीं थोपने या ऐच्छिक बनाने का कोई प्रावधान नहीं किया है। तमिलनाडु में हिंदी की अनिवार्यता हटाने के लिए सरकार ने जितने जल्दी अपने घुटने टेक दिए, क्या अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म करने की भी हिम्मत वह दिखाएगी ? डॉ. वैदिक ने भारत के नागरिकों से आग्रह किया है कि वे अंग्रेजी की अनिवार्यता के विरुद्ध हर क्षेत्र में जबर्दस्त जन-आंदोलन खड़ा कर दें।

matruadmin

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।