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हर आहट पर लगता है कुछ होने वाला है।
जीवन रूपी माला में कुछ पिरोने वाला है।।
रुके हुए जल पर कुछ हलचल है आजकल।
लगता है ठहरा हुआ मन हिलोरे खाने लगा है।।
बागों में होले होले कुछ पत्तो में सरसराहट सी है।
मौसम बदल रहा है, ठंडी हवा का झोंका आने लगा है।।
डगमगाते कदमो में फिर कुछ सम्हलने का साहस तो है।
कुछ दोस्त पुराने है , कुछ नए बनने की आहट तो है,
अंधेरो में लगता है कुछ उजालो की सुदबुदाहट तो है।।
#नीरज त्यागीग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).
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