मुल्क और मज़हब की बात है प्यारे,
जुबान संभालना ये सियासत है प्यारे।
बांटेगी ये हमें अपने-अपने हिसाब से,
तेरी और मेरी क्या औकात है प्यारे।
जब हम और तुम साथ हैं प्यारे,
रहनुमा क्यों परेशां दिखते है सारे।
शतरंज का खेल चला है दोनों में,
कभी शह तो,कभी मात है प्यारे।
#पवन गुर्जर
परिचय : पवन गुर्जर इंदौर निवासी हैं और वर्तमान में दैनिक समाचार-पत्र में मार्केटिंग विभाग में कार्यरत हैं। लेखन शौक से करते हैं। शायरी-कविताएं लिखना आपको पसंद है। समय- समय पर त्वरित मुद्दों पर भी लिखते रहते हैं।