युद्ध 

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mukesh rishi varma

तुम जीत लेना
हजारों युद्ध /
महायुद्ध
लेकिन तुम्हें अन्त में तो हारना ही है |
स्वयं से अथवा
स्वजनों से,
आजतक कोई नहीं जीत सका
स्वयं से /
स्वजनों से,
इतिहास गवा है
राम हारे तो अपनों से,
रावण हारा तो अपनों से
इस दुनिया में कोई ऐसा योद्धा नहीं
जो हारा नहीं
और जो हारा नहीं
वो योद्धा नहीं
हार-जीत का श्रेय तो सिर्फ एक योद्धा को ही मिलता है |
जो कभी लड़ा नहीं
वो योद्धा कैसा ?
लड़ाई सिर्फ भुजाओं के बल से ही नहीं लडी जाती
राग से, द्वेष से, लोभ से, लालच से लड़ना भी एक युद्ध है,
और इनसे लडना हर किसी के बस की बात नहीं…|

#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl

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