“मैं सोचती हूं,,
सो गये हैं भाव सारे
और जिम्मेदारियाँ भी
सो गया परिवार।।
घुप्प सन्नाटे भरे
इस मौन में,,
कुछ पल जरा सो लूं,
कुछ स्वप्न मैं बुन लूं,
हाँ मगर था जग रहा
कुछ अनकहा
मेरे हृदय में,,
मैं जिसे समझी थी
ठंडी बर्फ़ है बस।।
वो पिघलती है
मचलती है…
मेरे भीतर आग सी
धधकती है,,
मैं अनकहे को कहती हूं
लिखती हूं,गाती हूं,
सौ रास्ते आजमाती हूं
जब लगता है
मेरे पास कहने को कुछ नही
और वो अनकहा फिर
“अनकहा” ही रह जाता है ।
#मीनाक्षी वशिष्ठ
नाम->मीनाक्षी वशिष्ठजन्म स्थान ->भरतपुर (राजस्थान )वर्तमान निवासी टूंडला (फिरोजाबाद)शिक्षा->बी.ए,एम.ए(अर्थशास्त्र) बी.एडविधा-गद्य ,गीत ,प्रयोगवादी कविता आदि ।