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शब्दों का मधुर गुंजन कविता होती है।
भावना की अभिव्यक्ति कविता होती है।।
छन्द मात्रा लय ताल सुर कविता होती है।
जीवन मे माधुर्य लुटाये वो कविता होती है।।
प्रकृति का अतुलित आनन्द कविता होती है।
संघर्षों में विजय दिला दे वो कविता होती है।।
सत्पथ पर सबको चला दे वो कविता होती है।
राष्ट्रभाव रग रग मे जगा दे वो कविता होती है।।
सूर कबीर रसखान बना दे वो कविता होती है।
तुलसी बाबा की चौपाइयों सी कविता होती है।।
गंगा सी निर्मल अविरल बहे वो कविता होती है।
पशु पक्षियों के मीठे कलरव सी कविता होती है।।
शौर्य वीरता श्रृंगार की परिभाषा कविता होती है।
नव रस में सहज सरल भाषा में कविता होती है।।
#राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’
परिचय: राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९७० तथा जन्म स्थान-ओसाव(जिला झालावाड़) है। आप राज्य राजस्थान के भवानीमंडी शहर में रहते हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है और पेशे से शिक्षक(सूलिया)हैं। विधा-गद्य व पद्य दोनों ही है। प्रकाशन में काव्य संकलन आपके नाम है तो,करीब ५० से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। अन्य उपलब्धियों में नशा मुक्ति,जीवदया, पशु कल्याण पखवाड़ों का आयोजन, शाकाहार का प्रचार करने के साथ ही सैकड़ों लोगों को नशामुक्त किया है। आपकी कलम का उद्देश्य-देशसेवा,समाज सुधार तथा सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है।
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Sat May 25 , 2019
मातृ भाषा है हिन्दी मेरी, मेरे भारत का अभिमान। बावन अक्षर इसमें प्यारे, करते है हम सब सम्मान।। बारह खड़ी कि अद्भुत रचना, क से ज्ञ तक व्यंजन जान। स्वर की महिमा बड़ी अनोखी, प्राकृत का होता है ज्ञान।। स्वर व्यंजन व व्याकरण मिलके, बनते है फिर छंद महान। गीत […]