मैं पीड़ा हूँ

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vinod silva
मैं   पीड़ा   हूँ  उस   दरिद्र  की
जो  नित  भूखा  सो  जाता  है
पीने  को    तो  आंसू  खूब  हैं
भूख   लगे   तो गम  खाता  है
मैं  पीड़ा  हूँ   उन   हाथों   की
जो   दिन  –  रात   कमाता है
वो   सो   जाता   है   खुले  में
जो  औरों  के   घर  बनता  है
मैं  पीड़ा  हूँ  उस   हृदय   की
जिसे हर एक ठेस पहुंचाता है
मैं   पीड़ा   हूँ   उस   बेटी  की
जिसका जन्म नहीं हो पाता है
मैं   पीड़ा  हूँ  उस   पीड़ा   की
जिसे  कोई  समझ  न  पाता है
इन पीङाओं में सिल्ला’ का दिल
नित   द्रवित   हो    जाता    है
#विनोद सिल्ला
 
जीवन परिचय
 
विनोद सिल्ला 
माता का नाम/ पिता  का नाम
    श्रीमती संतरो देवी/श्री उमेद सिंह सिल्ला 
 पत्नी का नाम :- श्रीमती मीना रानी
 
  जिला फतेहाबाद (हरियाणा)
 
शिक्षा/जन्म तिथी
    एम. ए. -इतिहास, बी. एड.
व्यवसाय अध्यापन
प्रकाशन विवरण .
जाने कब होएगी भोर (काव्यसंग्रह)
खो गया है आदमी (काव्यसंग्रह)
 मैं पीड़ा हूँ (काव्यसंग्रह)
यह कैसा सूर्योदय’ (काव्यसंग्रह)
संपादित पुस्तकें 
प्रकृति के शब्द शिल्पी : रूप देवगुण (काव्यसंग्रह)
 मीलों जाना है (काव्यसंग्रह)
 
सम्मान का विवरण 
डॉ. भीमराव अम्बेडकर राष्ट्रीय फैलोशिप अवार्ड-2011
भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा 
 महात्मा ज्योति बा फूले राष्ट्रीय फैलोशिप अवार्ड-2012
भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा 
ऑल इंडिया समता सैनिक दल द्वारा 15, जून 2014 को 
उपमंडल प्रशासन, टोहाना द्वारा गणतन्त्र दिवस, 26, जनवरी 2012 को
 दैनिक सांध्य समाचार पत्र, ‘टोहाना मेल द्वारा 17, जून 2012 के
 अम्बेडकरवादी लेखक संघ द्वारा 06, जुलाई 2014 को
लाला कली राम साहित्य सम्मान-2015
साहित्य सभा, कैथल
के सी टी ग्रूप ऑफ इन्सटीट्युशन फतेहगढ़, लहरागागा (पंजाब) 07, फरवरी 2017
 संस्थाओं से सम्बद्धता (यदि कोई हो तो विवरण दें)
हरियाणा प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन,टोहाना
अध्यक्ष (2013-15)
मुख्य सलाहकार (2015-17)

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।