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मेरे भी दिल मे अभी,
उम्मीदे बहुत बाकी है।
बस सभी का साथ चाहिए।
पर्यावरण को बचाने के लिए ।
जिंदा दिल इंसानों का साथ चाहिए।।
जो हर मोड़ पर साथ दे,
इसे बचने के लिए।।
तप्ती हुई इस धूप में,
शीतल सी छाया चाहिए।
जो हाल गर्मी से हो रहा है ।
उसे शीतल करने ,
ठंडी लहर चाहिए ।।
बिना वृक्षो के कारण ही,
यह हाल है गर्मी का।
उससे बचने के लिए,
वृक्षारोपन करना चाहिए।
तभी इन गर्म हवाओं को,
शीतल हम कर पाएंगे।
और अपने देश का,
पर्यवरण को बचा पाएंगे।।
इस लक्ष्य को पाने के लिए।
देश के पर्यवरण को बचाने के लिए।
हर देशवासियो का साथ चाहिए।
बस सभी का भरपूर साथ चाहिए।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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Mon May 6 , 2019
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