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आवाज आ रही चीख पुकार की
बातें बढ़ने लगी है अत्याचार की
खून से सना हुआ अखबार आ रहा
कमी सी खलने लगी मददगार की
अर्धनग्न हो गए शर्मो हया खोने लगी
भुला रहे बात क्यों,ये संस्कार की
भीड़ बढ़ने लगी मदिरा की दुकान पर
फिक्र उसको नहीं दूध के उधार की
भाई से भाई क्यो लड़ रहा झगड़ रहा
वजह क्या हुई आपस के तकरार की
आदमी ही आदमी को क्यों काट रहा
धार तेज हो गई देख लो तलवार की
#किशोर छिपेश्वर ‘सागर’
परिचय : किशोर छिपेश्वर ‘सागर’ का वर्तमान निवास मध्यप्रदेश के बालाघाट में वार्ड क्र.२ भटेरा चौकी (सेंट मेरी स्कूल के पीछे)के पास है। आपकी जन्मतिथि १९ जुलाई १९७८ तथा जन्म स्थान-ग्राम डोंगरमाली पोस्ट भेंडारा तह.वारासिवनी (बालाघाट,म.प्र.) है। शिक्षा-एम.ए.(समाजशास्त्र) तक ली है। सम्प्रति भारतीय स्टेट बैंक से है। लेखन में गीत,गजल,कविता,व्यंग्य और पैरोडी रचते हैं तो गायन में भी रुचि है।कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित होती हैं। आपको शीर्षक समिति ने सर्वश्रेठ रचनाकार का सम्मान दिया है। साहित्यिक गतिविधि के अन्तर्गत काव्यगोष्ठी और छोटे मंचों पर काव्य पाठ करते हैं। समाज व देश हित में कार्य करना,सामाजिक उत्थान,देश का विकास,रचनात्मक कार्यों से कुरीतियों को मिटाना,राष्ट्रीयता-भाईचारे की भावना को बढ़ाना ही आपका उद्देश्य है।
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Sat Mar 23 , 2019
अपेक्षा किसी से करो नही सहायता किसे से मांगो नही स्वयं की शक्ति को पहचानो अपनी अन्तरात्मा को जानो जो अपनी सहायता खुद करते है परमात्मा उनकी शक्ति बनते है यह शक्ति परमार्थ के लिए हो स्वयं के कल्याण के लिए हो इससे सदुपलब्धि मिल जाएगी सर्व समस्याएं हल हो […]