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सतरँगी पतंग सी खुशियां
जीवन मे छा जाएं।
प्रेम की डोरी बढ़ती बढ़ती
आसमां की बुलन्दी पाए।
दमके सूर्य मकर रेखा में
दिन का समय बढ़ाये
मीठी लड्डू गुड़ तिल सा
जीवन मधुर बनाएं।
गतिमान ये जीवन परिवर्तित
हरपल रहता है,
रुको नही पथिक आगे बढ़ो
चढ़ता सूरज कहता है।
#अविनाश तिवारीजांजगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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