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मंजर सुहाना भाने लगा है
मुझे याद कोई आने लगा है
मुझसे जो रूठ जाता था कभी
वो शख्स मुझे ही मनाने लगा है
बातें उसकी मुझको अच्छी लगी
वो मुझे अब समझाने लगा है
बनाके रखी थी ,दूरियां कभी
नजदीक कितना आने लगा है
मैंने जाना रिश्ते टूटते ही नहीं
दोस्ती दिल से निभाने लगा है
उम्र मेरी उसको लग जाए”सागर”
सुना है गज़ल मेरी गुनगुनाने लगा है
#किशोर छिपेश्वर ‘सागर’
परिचय : किशोर छिपेश्वर ‘सागर’ का वर्तमान निवास मध्यप्रदेश के बालाघाट में वार्ड क्र.२ भटेरा चौकी (सेंट मेरी स्कूल के पीछे)के पास है। आपकी जन्मतिथि १९ जुलाई १९७८ तथा जन्म स्थान-ग्राम डोंगरमाली पोस्ट भेंडारा तह.वारासिवनी (बालाघाट,म.प्र.) है। शिक्षा-एम.ए.(समाजशास्त्र) तक ली है। सम्प्रति भारतीय स्टेट बैंक से है। लेखन में गीत,गजल,कविता,व्यंग्य और पैरोडी रचते हैं तो गायन में भी रुचि है।कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित होती हैं। आपको शीर्षक समिति ने सर्वश्रेठ रचनाकार का सम्मान दिया है। साहित्यिक गतिविधि के अन्तर्गत काव्यगोष्ठी और छोटे मंचों पर काव्य पाठ करते हैं। समाज व देश हित में कार्य करना,सामाजिक उत्थान,देश का विकास,रचनात्मक कार्यों से कुरीतियों को मिटाना,राष्ट्रीयता-भाईचारे की भावना को बढ़ाना ही आपका उद्देश्य है।
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Sat Mar 16 , 2019
मरीज़ो की कराहे , दर्द की आहें चारो और है,,, नर्सो और कम्पांउडरो के कदमों की आहटो का शौऱ है,, देख रहा हुं अस्पताल , जिसका जीवन में अहम दोऱ है,, कोई मरीज़ खामोश है, कोई चिल्ला रहा है,, कोई अफरातफरी में डॉक्टर को बुला रहा है,, मरीज़ व्याकुलता से […]