हिन्दी हस्ताक्षर से भाषा के प्रति भाव जागते है- स्वामी विदेहदेव जी

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हिन्दी  जननी हैमुझे गर्व है हिंदी और भारतीयता पर- कवि मुकेश मौलवा

  इंदौर ।

मातृभाषा के उन्नयन के लिए प्रत्येक व्यक्ति के मन में भाषा के प्रति प्रेम होना चाहिए, भाव से ही भाव बनता है, उक्त कथन मुख्य अतिथि स्वामी विदेहदेव जी ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कही ।

‘मातृभाषा उन्नयन संस्थान’, इंदौर एवं साहित्यिक संस्था ‘क्षितिज’ के तत्वावधान में मातृभाषा दिवस पर राष्ट्रीय परिचर्चा एवं संगोष्ठी का आयोजन मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, आर एन टी मार्ग, इंदौर में हुआ जिसमें मुख्य अतिथि को तौर पर पतंजलि योग प्रचारक प्रकल्प के प्रमुख स्वामी विदेहदेव जी, विशेष अतिथि ओज के प्रसिद्ध कवि मुकेश मौलवा, साहित्यकार अश्विनी दुबे, मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अर्पण जैन अविचल, क्षितिज़ के अध्यक्ष सतीश राठी थे। अध्यक्षता साहित्यकार सूर्यकांत नागर जी ने की ।
अतिथि स्वागत के पश्चात स्वागत उदबोधन डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’ ने दिया,  परिचर्चा के पहले संस्मय प्रकाशन का लोकार्पण किया गया एवं प्रांजल कथन का वाचन शिखा जैन द्वारा किया गया ।
कवि मुकेश मोलवा ने हिन्दी की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए हिन्दी को रोजगार की भाषा बनाए जाने पर जोर दिया ।परिचर्चा में वक्ता सतीश राठी जी ने साहित्य में भाषा की स्वच्छता पर प्रकाश डाला, उनके बाद अश्विनी कुमार दुबे जी ने भाषा की शुद्धता पर जोर दिया।  तत्पश्चात वसुधा गाडगील जी ने मातृभाषा हिन्दी पर दो लघुकथा का पाठ किया। । आर एस माथुर द्वारा कविता पाठ किया गया। अध्यक्षीय उदबोधन में सूर्यकांत नागर जी द्वारा दिया गया ।
सभी मंचासीन अतिथियों का मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया।

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आज स्वामी विदेहदेव जी का जन्मदिवस होने से संस्था द्वारा मंच पर पुष्पहार से स्वागत कर जन्मदिवस मनाया । कार्यक्रम का संचालन श्रीमती पदमा राजेंद्र जी द्वारा किया गया,अंत में आभार क्षितिज के सचिव अशोक शर्मा भारती ने माना। आयोजन में मातृभाषा उन्नयन संस्थान के पदाधिकारी शिखा जैन, डॉ.नीना जोशी, प्रिन्स बैरागी, लक्ष्मण जाधव, चेतन बेंडाले, अपराधों की दुनिया के संपादक जितेन्द्र वामने, यश पाराशर, मनोज तिवारी, श्रीमति रश्मी मालवीय,राममूरत राही,किशोर बगरे, सुभाष जैन, अंजू निगम सहित क्षितिज के पदाधिकारी उपस्थित रहें।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।