यादें

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drushti
बेटियाँ
शिक्षा के बाद
शादी हो कर जाती दूसरे घर में
जहाँ पर हर चेहरे/रिश्ते नए

माँ जब खाना खाती
तब ऐसा लगता
बेटी होती तो काम में
हाथ बटाती ।

कभी ऐसा लगता जैसे बेटी ने
आवाज दी हो
वार -त्योहारों पर आती उसकी यादें
माँ की आँखों में
बहने लग जाते आँसू ।

पडोसी /रिश्तेदार पूछते
क्या हो गया
झूठ -मूट कह देती
कुछ नहीं ।

जिनकी बेटियाँ होती है
वो ही इस मर्म को समझ सकती
बोल उठती
क्या बेटी की याद आ रही है
रोते हुए “हाँ ” शब्द
निशब्द बन जाते है ।

रिश्तो कि फ़िल्म ही जीवन में
कुछ इस तरह चलती है
पहला भाग बाबुल का होता है
मध्यांतर हो जाता
पिया का घर
हक़दार बदल जाते है

यही तो जीवन का सच है
वार -त्यौहारों पर
किसी से बेटी कि शक्ल मिलने पर
उसे मन निहारता रहता
और आँखों से आँसू
यादों के रूप में गिराता रहता ।

इसलिए हर इंसान के दिल में
यादेँ बसाई है
जो मर्म को समझ कर
इंतजार करवाती है और
आँखों से आँसू गिरवाती है

फिर कोई पूछता है की
क्या हुआ -क्या बिटियाँ की
याद आ रही है
तब माँ कहती – “हाँ ”
यही क्रम हर घर में चलता है
जिनकी बेटियाँ होती है ।

#संजय वर्मा ‘दृष्टि’

परिचय : संजय वर्मा ‘दॄष्टि’ धार जिले के मनावर(म.प्र.) में रहते हैं और जल संसाधन विभाग में कार्यरत हैं।आपका जन्म उज्जैन में 1962 में हुआ है। आपने आईटीआई की शिक्षा उज्जैन से ली है। आपके प्रकाशन विवरण की बात करें तो प्रकाशन देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाओं का प्रकाशन होता है। इनकी प्रकाशित काव्य कृति में ‘दरवाजे पर दस्तक’ के साथ ही ‘खट्टे-मीठे रिश्ते’ उपन्यास है। कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता की है। आपको भारत की ओर से सम्मान-2015 मिला है तो अनेक साहित्यिक संस्थाओं से भी सम्मानित हो चुके हैं। शब्द प्रवाह (उज्जैन), यशधारा (धार), लघुकथा संस्था (जबलपुर) में उप संपादक के रुप में संस्थाओं से सम्बद्धता भी है।आकाशवाणी इंदौर पर काव्य पाठ के साथ ही मनावर में भी काव्य पाठ करते रहे हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।