न जाने क्यों बेवफा कहलाए हम

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hanif

उस रुठने वाले को कैसे मनाएं हम,
वफ़ा करने पर भी,बेवफा कहलाए हम।

जिन्दा हैं उसकी यादों के सहारे,
कितने तन्हा और मजबूर..
मर भी न सके और जी भी ना सके हम।

सोचा था मोहब्बत की दुनिया बसाएंगे हम,
दास्ताँ अपने प्यार की सुनाएंगे हम..
वो दुनिया हमारी जलाते रहे,
फिर भी उसकी खातिर मुस्कुराते रहे हम।।

याद आता है उसकी मोहब्बत का वो फ़लसफ़ा,
कि प्यार करते हैं तुमसे हम..
दिल से हमारे खेलते रहे वो हरदम,
और वफ़ा करके भी न जाने क्यों बेवफा कहलाए हम।।

                                                           #मोहम्मद हनीफ खान मन्सूरी

परिचय : मोहम्मद हनीफ खान मन्सूरी पत्रकार होने के साथ ही स्थानीय कवि भी हैं। आपने एमएससी(कम्प्यूटर) की शिक्षा प्राप्त की है और विदिशा जिला के श्मशाबाद में रहते हैं। लेखन कार्य छात्र के रूप में प्रारम्भ किया था,जो अब भी जारी है। स्थानीय अखबारों एवं पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुईं हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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