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पिता का कंधा
अम्मा की गोदी
सपनों मे परियों
संग खेली….
रात मे चाँद-सितारों
की टोली
उनके संग लुकाछिपी
खेली…
चंदा संग मामा की बाते
जुगनू बन रात मे घूमी
बाबा-बाबा
कहकर उनसे
कंधे पर जा कर बैठी
देखो खुला आकाश है ये
संदर-सुंदर
चाँद-सितारे
आँखो मे सपना बन आते
हमको पूरी रात जगाते
सुबह-सुबह
ध्रुव से मिलवाते
देखो कितना चमक रहा है
हैं अकेला
पर देख रहा है…
जो बच्चे मन को भाते
उनसे रोज मिलने आते
बच्चों को कहानी सुनाते
एक नया संदेश
दे जाते…..।
नाम – चारु शिखा
शिक्षा – बी. ए. (लखनऊ विश्व विद्यालय )
प्रकाशन – अमर उजाला कॉम्पेक्ट ,डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट (लखनऊ )
-सुबह सवेरे डेली न्यूज़ पेपर (भोपाल ) एवं पत्रिकाओं में कविता,
-लघु कथा एवं लेखों का समय -समय पर प्रकाशन |
पुस्तक – लघु कथा एवं काव्य संग्रह सम्मान – वुमन आवाज सम्मान एवं काव्य संपर्क सम्मान (जयपुर ,राजस्थान )पता – उन्नाव, उत्तर प्रदेश
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Sun Dec 23 , 2018
बेटियाँ इतिहास रचती हैं देश का मान रखती हैं , उड़ाने उनकी हैं ऊँची दिल में तूफ़ान रखती हैं । कलाई उनकी है नाजुक यही अब तक सुना हमने, हाथ में है बड़ी ताक़त है हथेली जान रखती हैं । कभी सीता कभी राधा कभी घोषा अपाला थी , आज […]