Read Time1 Minute, 38 Second
यक-ब-यक चल पड़ी हवा जैसे
पूरी हो गई हर दुआ जैसे
=====================
तुमको देखा तो यूँ महसूस हुआ
सामने आ गया खुदा जैसे
=====================
मैंने हर बार तुझे यूँ माँगा
बच्चा कोई माँगे खिलौना जैसे
=====================
इस तरह तूने भुलाया मुझको
तू मेरा कभी न था जैसे
=====================
ज़िक्र तेरा निकलते ही फिर से
हर ज़ख्म हो गया हरा जैसे
=====================
भरत मल्होत्रा
परिचय :–
नाम- भरत मल्होत्रा
मुंबई(महाराष्ट्र)
शैक्षणिक योग्यता – स्नातक
वर्तमान व्यवसाय – व्यवसायी
साहित्यिक उपलब्धियां – देश व विदेश(कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान – ग्वालियर साहित्य कला परिषद् द्वारा “दीपशिखा सम्मान”, “शब्द कलश सम्मान”, “काव्य साहित्य सरताज”, “संपादक शिरोमणि”
झांसी से प्रकाशित “जय विजय” पत्रिका द्वारा ” उत्कृष्ट साहितय सेवा रचनाकार” सम्मान एव
दिल्ली के भाषा सहोदरी द्वारा सम्मानित, दिल्ली के कवि हम-तुम टीम द्वारा ” शब्द अनुराग सम्मान” व ” शब्द गंगा सम्मान” द्वारा सम्मानित
प्रकाशित पुस्तकें- सहोदरी सोपान
दीपशिखा
शब्दकलश
शब्द अनुराग
शब्द गंगा
Post Views:
539
Mon Dec 3 , 2018
दोस्त हमारे जीवन का सब से अमूल्य उपहार है, जो हमे बीमारियों से लड़ने की शक्ति देता है, हमे किसी भी कठिनाई से बाहर निकाल सकता है, हमे जीने की वजह देता है, जिसके बिना बचपन और जवानी कांटो के समान लगती है, जिसके होने पर यह जीवन गुलाब के […]