मां

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avinash tiwari
मां मंदिर की आरती,मस्जिद की अजान है।
मां वेदों की मूल ऋचाएं, बाइबिल और कुरान है।
मां है मरियम मेरी जैसी,
मां में दिखे खुदाई है।
मां में नूर ईश्वर का
रब ही मां में समाई है।
मां आंगन की तुलसी जैसी
सुन्दर इक पुरवाई है।
मां त्याग की मूरत जैसी
मां ही पन्ना धाई है।।
मां ही आदि शक्ति भवानी
सृष्टि की श्रोत है
मां ग्रन्थों की मूल आत्मा
गीता की श्लोक है।
मां नदिया का निर्मल पानी
पर्वत की ऊंचाई है
मां में बसे हैं काशी गंगा,
मन की ये गहराई है।
मां ही मेरा धर्म है समझो
मां ही चारों धाम है।
मां चन्दा की शीतल चाँदनी
ईश्वर का वरदान है।
#अविनाश तिवारी
अमोरा जांजगीर-चांपा छत्तीसगढ

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।