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कविता
त्रेता में रावण को मारा,
बेघर आज थाड़े हो |
लेकर घूम रहे हैं नेता,
हाथों तुझको आड़े हो |
नेताओं को बल देते हो ,
जो तुझको भरमाते हैं |
रंग बदलते ये तो ऐसे ,
गिरगिट भी शरमाते हैं |
राम नाम का नारा देकर ,
राम-राज्य ले आते हैं |
सत्ता पर आते ही बदलू ,
रावण खुद बन जाते हैं |
तंत्र-मंत्र सब भुना रहे हैं ,
कुर्सी अपनी पाने को |
तन इनका मुख हीन है ,
थोड़ा भी शरमाने को |
सब्ज बाग ऐसे दिखलाते ,
काया ही बदल देंगे |
पीढ़ियों से राजा बनते हैं ,
राजतंत्र ही ला लेंगे |
#अशोक महिश्वरे
गुलवा बालाघाट म प्र
#परिचय
नाम -अशोक कुमार महिश्वरे
पिता स्वर्गीय श्री रामा जी महिश्वरे
माता स्वर्गीय शकुंतला देवी महिश्वरे
जन्म स्थान -ग्राम गुलवा पोस्ट बोरगांव, तहसील किरनापुर जिला बालाघाट मध्य प्रदेश
शिक्षा स्नातकोत्तर हिंदी साहित्य एवं अंग्रेजी साहित्य ,बीटीआई व्यवसाय :मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर वर्तमान में शासकीय प्राथमिक शाला टेमनी तहसील लांजी जिला बालाघाट मध्य प्रदेश में पदस्थ हूँ
लेखन विधा गद्य एवं पद्य
प्रकाशित पुस्तकें: प्रकाश काधीन १/साझा काव्य संग्रह २/नारी काव्यसंग्रह
प्रकाशक साहित्य प्रकाशन झुंझुनू राजस्थान
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Sat Nov 17 , 2018
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