अन्नदाता की औकात….

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mangal pratap
यदि औकात पर आ गया अन्नदाता,
तो त्राहि-त्राहि मच जाएगी।
सत्ता की गोदी में लेटे लोगों,
तुम्हारी भी बूढ़ी नानी याद आ जाएगी।।
पंचतत्व की भी औकात नहीं है,
कि इनका कुछ बिगाड़ सकें।
सब मित्र बने हैं बैठे,
इन्हें नवबात सिखा सकें।।
ये दुनिया के पालनहार यदि,
पांव मोड़कर बैठ जाएंगे,
भूखे पेट मर जाओगे,
यदि साथ छोड़कर हट जाएंगे।।
यदि इनके विरुद्ध में बोले कुछ भी,
तो दौड़ा-दौड़ा के मारेंगे।
किसान और जवान आदर्श हैं मेरे,
इनका एहसान जोड़ा-जोड़ा कर मारेंगे।।
सारी दुनिया ऋणी है इनकी,
ये बात कब तुम जानोगे।
दुनिया के पालनहार हैं ये,
इनका एहसान कब तुम मानोगे।।

#मंगल प्रताप चौहान

परिचय:  मंगल प्रताप चौहान जी की जन्मतिथि-२० मार्च १९९८ और जन्मस्थली सोनभद्र की पृष्ठभूमि ग्राम अक्छोर, राबर्ट्सगंज (जिला-सोनभद्र ,उप्र) है। राबर्ट्सगंज सोनभद्र के आदर्श इण्टरमीडिएट कालेज से आपने  हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट की शिक्षा लेकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से बी०काम व यू०जी०डी०सी०ए० की शिक्षा प्राप्त किया। ततपश्चात डी०एल०एड० करके अध्यापन के साथ साथ साहित्य क्षेत्र में आप कार्यरत हैं। इसके अलावा एनसीसी,स्काउट गाइड व एनएसएस भी आपके नाम है। आपका कार्यक्षेत्र अध्यापन, लेखन एवं साहित्यिक काव्यपाठ के साथ साथ सामाजिक कार्यकर्ता एवं समाज में व्याप्त नकारात्मक ऊर्जाओं को अपने कलम की लेखनी से उखाड़ फेंकने का पूर्ण रूप से आत्मविश्वास है।अब तक बहुत ही कम समय में आपके नाम कई कविताओं व सकारात्मक विचारों का समावेश है।अब तक आपकी दर्जनों भर रचनाएं हरियाणा, दिल्ली ,मध्यप्रदेश, मुम्बई व उत्तर प्रदेशसे प्रकाशित हो चुकी हैं।

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