*गोबरधन*

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babulal sharma

गोवर्धन को हम *गोबरधन* भी कहते रहें तो क्या हानि है।
गोवर्धन एक व्यापक शब्द है जो हमे गोवंश एवं किसान के प्रति सम्मान व संरक्षण का बोध कराता है ।
*गोबरधन* और भी व्यापक शब्द है जो हमे समस्त पशुधन व किसान कृषक ,कृषि कर्मी ,मजदूर सभी के सम्मान ,स्वाभिमान,व संरक्षण का बोध करवाता है ।
कृष्ण का पर्वतधारण कर जन रक्षा करना हमारे सैनिकों के सम्मान त्याग  बलिदान ,व शौर्य का सूचक है।
हम मुंशी प्रेमचंद के साहित्य में गाँव,गोबर कृषक,गाय,मजदूर के दृश्य देखलें, चाहे हमारी संस्कृति मे ,पंचामृत,हवन पूजा,चौका,आँगन ,आयुर्वेद, में गोबर का महत्व देखलें ,चाहे, कृषि व खाद में गोबर व पशुधन का महत्व देखलें चाहे वर्तमान की जैविक कृषि देखलें हम पशुधन, गोबर ,कृषक, को नकार नही सकते है। यदि भौतिकता की भूल भूलैया में गोधन/पशुधन को नकार दिया,तो भारत में बचा ही क्या। जहाँ80%आबादी गाँवो में रहती है,कृषि आधारित है।जहाँ मानव आबादी से अधिक पशुधन संख्या है। ऐसे देश में गोधन/पशुधन का महत्व स्वयं सिद्ध है।
हमारी अन्नपूर्णा धरती,हमारा अन्नदाता कृषक,और हमारा पशुधन,एवं हमारे सैनिक इन सब के मान,सम्मान, स्वाभिमान व संरक्षण का पर्व है *गोबरधन*। हमारा देश कृषि प्रधान देश है।कृषि प्रधान देश की रीढ़ होता है पशुपालन। अतः हम गोबर से घिन न करे,महत्व समझे व  सदुपयोग करें।
मैदानी इलाके में गाय,भैंस का अपना महत्व है,तो रेगिस्तान में भेड़ बकरियाँ ही गोधन का विकल्प हैं। और बर्फीले ठंडे इलाके में याक जैसे पशु ही गोधन/पशुधन का महत्व रखतें है।
*दीपावली भारत का प्रमुख पर्व है सही है,परन्तु गोबरधन भारत का व्यापक लोक पर्व है।*
यह उदारता का पर्व है,गरीब,किसान,मजदूर सैनिक,खेत,पशुधन, वनस्पति,पक्षी,समस्त प्राणीजगत का पर्व है।

आओ आज सभी गोधन/पशुधन हित,कुपोषित, सड़को पर आवारा विचरते पशुधन के संरक्षण हित चिंतन,मनन करते हुए….गोबरधन पूजन करे ।

सारा देश विविधता मे एकता का दर्शन कराता आज किसी न किसी रूप मे यह पर्व मना रहा है।
यही हमारी मिशाल है तभी तो मेरा देश महान हैं
जय  हो *गोबरधन*
आज के गोबरधन पर्व की आपको हमारी असीम..
🙏 *शुभकामनाएं* 🙏

नाम– बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।