उपहार

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pushpa sharma
      सुनो कल करवा चौथ है, आप  जल्दी आजाना, बाजार से सामान लाना है। अनुभा ने थोड़ा जोर से बोलकर कहा।
ठीक है, कोशिश करता हूँ अनीश का स्वर धीमा था। अपना बैग लेकर वह आफिस के लिये रवाना होने लगा । माँ खाट पर बैठी पूजा के लिये बत्तियाँ बना रही थी।
बोली आ जाना अन्नू बहू कब से कह रही है। उसने गर्दन हिला कर हाँ कहा और रवाना हो गया।
नये अधिकारी ने सभी कर्मचारियों को काम के लिये कस रखा था। उनसे दो घण्टे का अवकाश माँगना टेढी खीर है। पर मैंने तो इस महिने कभी छुट्टी ली ही नहीं। बैंक में लोन लेने वालों का ताँता लगा रहता है।सिर उठाने की भी फुरसत नहीं। नियम बताना फार्म की जाँच करना आदि….।
ठीक साढे चार बजे  उसने जैसे तैसे छुट्टी की व्यवस्था करी और घर आ गया।
अधिक उत्सुकता तो अनुभा को हीरों का सेट दिलाने की थी ,शादी को तेरह साल हुए पर वह कोई अच्छा उपहार नहीं दे पाया था। इस करवा चौथ को एक अच्छे उपहार से खास बना देना चाहता था।
अनुभा तैयार थी, परेश और     पारुथी नाश्ता कर चुके थे।    दोनों बच्चों को होम वर्क पूरा करने की हिदायत देकर वे बाजार निकले। चलो पहले ज्वैलरी के शो रूम में ही चलें।
वे शोरूम में गये ज्वैलर से अनीश कुछ कहता उससे पहले ही अनुभा बोल पड़ी।
भैया ये प्लेन चूड़ियाँ बताना ,दुकान दार  ने डिब्बा खोल कर रखा वह चूडियों के बीच उँगलियों से माप लेने लगी। चूड़ियाँ एक तरफ रख उसने दो चार डिब्बे सादा चैन सेट  के देखे  और एक सेट को देखकर अनीश से कहा देखो कैसा है? पर तुम्हें तो वो हीरों का…….।
अनीश का वाक्य पूरा होने से पहले ही वो बोल पड़ी नहीं भारी सेट शादी वाला है।
यही ठीक है और ये चूड़ियाँ मम्मी जी के लिये ले लेते हैं दीपावली पर पहन लेंगी।
उनकी चूड़ियाँ उन्होंने शीनू दी की शादी में दे दी थी।
अनीश पत्नी की ओर अवाक् देखने लगा….।  फिर खुश होकर बोला हाँ क्यों नहीं….. उसके चेहरे पर असीम संतोष व शान्ति की मुस्कुराहट उभर आई थी जिसमें उज्ज्वल हीरक सी चमक की आभा बिखर रही थी ।  पत्नी से अमूल्य उपहार पाकर ।
#पुष्पा शर्मा 
परिचय: श्रीमती पुष्पा शर्मा की जन्म तिथि-२४ जुलाई १९४५ एवं जन्म स्थान-कुचामन सिटी (जिला-नागौर,राजस्थान) है। आपका वर्तमान निवास राजस्थान के शहर-अजमेर में है। शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। कार्यक्षेत्र में आप राजस्थान के शिक्षा विभाग से हिन्दी विषय पढ़ाने वाली सेवानिवृत व्याख्याता हैं। फिलहाल सामाजिक क्षेत्र-अन्ध विद्यालय सहित बधिर विद्यालय आदि से जुड़कर कार्यरत हैं। दोहे,मुक्त पद और सामान्य गद्य आप लिखती हैं। आपकी लेखनशीलता का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है।

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