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वल्लभ भाई थे यहाँ, भारत के सरदार।
एकीकरणक देश के, बना दई सरकार।
बना दई सरकार, मिटा देशी रजवाड़े।
भारत के हर कोन, तिरंगे झण्डे गाड़े।
कहे लाल कविराय,देश से प्रीत निभाई।
भारत माँ का पूत,सरदार वल्लभ भाई।
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आजादी के दौर में, नेता हुए हजार।
वल्लभ ,नेहरु जी रहे, दोनो दावे दार।
दोनो दावे दार , देश हित दोनो ही मानी।
नेहरु बने प्रधान ,साथ वल्लभ से ज्ञानी।
गृह मंत्रालय देख,वतन की शान बढ़ादी।
किया देश अखण्ड,रखें सच्ची आजादी।
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देशी राज विलय किए,बना दिया नव देश।
वल्लभ भाइ पटेल जी ,ऐसे थे दर वेष।
ऐसे थे दरवेष, देश हित कारज कीना।
उनका था पैगाम ,देश हित मरना जीना।
कहे लाल कविराय,करे नहीं होड़ विदेशी।
मिला लिए घर बार, बचे नहीं राजा देशी।
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नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः