रोशनी

0 0
Read Time3 Minute, 12 Second

chetana

घर की माली हालत ठीक नहीं थी।अकेले पिता की कमाई से पूरा नहीं पड़ता था,तो तय हुआ कि माँ भी काम करे। सो माँ को काम तो मिल गया थोड़े प्रयास के बाद,परंतु बाहर जाना पड़ा ट्रेनिग के लिए..तो अब घर की सारी जिम्मेदारी नन्हीं अरुणा के नाजुक कंधों पर आन पड़ी। पिता और तीन छोटे भाई-बहनों की देखभाल,चूल्हा-चौका वगैरह। पिता भी उसका हाथ बंटाते इन कार्यों में।
स्कूल से आकर रोटी-पानी करती, सबको खिला-पिलाकर बर्तन-भांडे मांजना,झाडू-बुहारी वगैरह..,और खोली में एक छोटा–सा,उस पर भी धूल-धुएँ से भरा बल्ब लटका रहता तो उसी के पीले-मट्मैले-से प्रकाश में सब कुछ निपटाती थकी-थकी,उदासी और निरुत्साह में पगी..। सुबह तो स्कूल की जल्दी रहती थी न,तो अधिकांश कार्य शाम को ही निपटाती थी। नहीं,ऊब या थकान काम से उतनी नहीं होती थी। काम में तो वह माँ के साथ भी हाथ बंटाती थी ही, वह तो होती थी माँ के बिना रीते घर के सूनेपन से।
उस शाम भी बाजार से किराने का सामान लेकर लौटती यही सब करने के बारे में सोचते घर में पैर रखते ही उसे लगा कि-‘आज तो खोली कैसी जगमगा रही है! सुनहरे-चमकीले प्रकाश से भरी लबालब,बल्कि सुनहरा प्रकाश अब तो खोली के बाहर भी बहने लगा है..रिस रहा है !’
चौंककर अरुणा ने सिर ऊपर उठाकर देखा,वही छोटा-सा धुंआया—मटमैला बल्ब ही तो जल रहा था केवल ! फिर भी उसे ऐसा क्यों महसूस हो रहा है जैसे एक अदभुत–अलौकिक-दिव्य रोशनी भरी हुई हो घर में ? और कोना-कोना जगमगा रहा है घर का !
‘अरे हाँ……!!!,माँ जो आ गई है घर, आज अपनी ट्रेनिंग पूरी करके।’

       #चेतना भाटी

परिचय : इंदौर में बसी हुई चेतना भाटी की साहित्य की विभिन्न विधाओं व्यंग्य,लघुकथा और कहानी आदि में अब तक आठ कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। बीएससी,एमए और एलएलबी तक शिक्षित हैं। विभिन्न स्थानीय और मप्र लेखक संघ (भोपाल) द्वारा काशीबाई मेहता सम्मान आपने पाए हैं। इंदौर लेखिका संघ में उपाध्यक्ष चेतना भाटी के व्यक्तित्व-कृतित्व पर लघुशोध सहित कथा-कहानी पर पीएचडी शोध प्रबंध में शामिल है। इनकी रचनाओं का पंजाबी-मराठी में अनुवाद हुआ है तो आकाशवाणी इंदौर पर वार्ताकार होकर नवसाक्षरों के लिए भी लेखन करती रही हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

परिंदे....

Sat Mar 18 , 2017
परिंदे को परिंदे की पहचान है, चहुँओर मच रहा घमासान है। कतर रहे पर एक-दूजे के, बनती इससे ही इनकी शान है। बजाते सब ढपली अपनी-अपनी, न सुर है, न कोई ताल है। भूल रहे सभ्य सभ्यता सब अपनी, फिर भी खुद को खुद पर नाज़ है। कहते जीत रहे […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।