व्यथित मन पुलकित हो कैसे,
बिखरे जन सम्मिलित हों कैसे।
हवस से भरे हों जब तक नयन,
नारी तन सम्मानित हो कैसे।
सहमी हुई देह आश्वत हो कैसे,
अश्रु भरे नेत्र प्रज्वलित हों कैसे।
छोटी उम्र में जब अपराध बड़े हों,
न्याय की देवी प्रफुल्लित हो कैसे।
#पवन गुर्जर
परिचय : पवन गुर्जर इंदौर निवासी हैं और वर्तमान में दैनिक समाचार-पत्र में मार्केटिंग विभाग में कार्यरत हैं। लेखन शौक से करते हैं। शायरी-कविताएं लिखना आपको पसंद है। समय- समय पर त्वरित मुद्दों पर भी लिखते रहते हैं।
बहुत सुंदर कविता है।
पवन भाई ।