यशपाल निर्मल इटावा (उत्तर प्रदेश) में होंगे अंतरराष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान 2018 से सम्मानित ।

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जम्मू |
डोगरी एवं हिंदी भाषा के युवा बाल साहित्यकार,  लघुकथाकार, कथाकार, कवि, आलोचक,लेखक, अनुवादक, भाषाविद्, सांस्कृतिककर्मी एवं समाजसेवी यशपाल निर्मल को उनके साहित्यिक योगदान के लिए तथागत कला-संस्कृति संस्थान, इटावा, सिद्धार्थनगर , उत्तर प्रदेश की ओर से अंतर्राष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान 2018 से सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है। इस बात की जानकारी संस्था के अध्यक्ष डा. भास्कर शर्मा  ने अपनी संस्था की ओर से जारी  घोशनापत्र के माध्यम से दी है। यह सम्मान समारोह 11 नवंबर , 2018 को इटावा  (उत्तर प्रदेश) में आयोजित किया जाएगा जिसमें देश विदेश के साहित्यकारों के साथ – साथ जम्मू कश्मीर के चार साहित्यकारों को इस सम्मान से सम्मानित किया जाएगा जिनमें यशपाल निर्मल के इलावा डा. सतीश विमल, डा. दराख्शां अंद्राबी और श्री केवल कुमार केवल शामिल हैं।
     गौरतलब है कि यशपाल निर्मल का जन्म 15 अप्रैल 1977 को जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्र छंब ज्यौड़ियां के गांव गढ़ी बिशना में श्रीमती कांता देवी और श्री चमन लाल  के घर पर हुआ।
       आपने जम्मू विश्वविद्यालय से डोगरी भाषा में स्नातकोतर एवं एम.फिल. की उपाधियां प्राप्त की। आपने वर्ष 2005 में जम्मू विश्वविद्यालय से डोगरी भाषा में स्लेट एवं वर्ष 2006 में डोगरी भाषा में यू.जी.सी. की नेट परीक्षा उतीर्ण की । आपको डोगरी,हिन्दी,पंजाबी, उर्दू एवं अंग्रेज़ी भाषाओं का ज्ञान है। आप कई भाषाओं में अनुवाद कार्य कर रहें है। आपने सन् 1996 में एक प्राईवेट स्कूल टीचर के रूप में अपने व्यवसायिक जीवन की शुरुआत की। उसके उपरांत “दैनिक जागरण”, “अमर उजाला” एवं “विदर्भ चंडिका” जैसे समाचार पत्रों के साथ बतौर संवाददाता कार्य किया। वर्ष 2007 में आप नार्दन रीजनल लैंग्वेज सैंटर ,पंजाबी यूनिवर्सिटी कैंपस,पटियाला में डोगरी भाषा एवं भाषा विज्ञान के शिक्षण हेतु अतिथि ब्याख्याता नियुक्त हुए और तीन वर्षों तक अध्यापन के उपरांत दिसंबर 2009  में जम्मू कश्मीर कला,संस्कृति एवं भाषा अकैडमी में शोध सहायक के पद पर नियुक्त हुए और  जून 2017 में पदोन्नत होकर सहायक संपादक पद पर नियुक्त हुए।
          आपने लेखन की शुरुआत वर्ष 1994 में की और सन 1995 में श्रीमद्भागवत पुराण का डोगरी भाषा में अनुवाद  किया।  सन् 1996 में आपका पहला डोगरी कविता संग्रह  अनमोल जिंदड़ी प्रकाशित हुआ।
         अब तक हिन्दी , डोगरी एवं अंग्रेजी भाषाओं में विभिन्न विषयों पर आपकी 30  पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आपके अनुवाद कार्य, साहित्य सृजन ,समाज सेवा,पत्रकारिता और सांस्कृतिक क्षेत्रों  में अतुल्नीय योगदान हेतु आपको कई मान सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं जिनमें  नाटक मियां डीडो  पर वर्ष 2014 का साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली का राष्ट्रीय अनुवाद पुरस्कार,  पत्रकारिता भारती पुरस्कार(2004), जम्मू कश्मीर रत्न सम्मान (2010), डुग्गर प्रदेश युवा संगठन सम्मान (2011), लीला देवी स्मृति सम्मान(2012), महाराजा रणबीर सिंह सम्मान(2013), राष्ट्रीय अनुवाद साहित्य गौरव सम्मान (निर्मला स्मृति साहित्यक समिति, चरखी दादरी एवं भारतीय अनुवाद परिषद, दिल्ली, 2017), डोगरी बाल उपन्यास की पाण्डुलिपि को गुगनराम एजुकेशनल एण्ड सोशल वैलफेयर सोसयटी की ओर से वर्ष 2018 का बाल साहित्य पुरस्कार, समग्र साहित्यिक योगदान के लिए हिमालय और हिन्दुस्तान की सिल्वर जुवली के अवसर पर साहित्य सेवी सम्मान 2018, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा और संस्कार भारती की ओर से 4-5 फरवरी 2018 कोआयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक सम्मेलन में डा.  बी. आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व  कुलपति डा. गिरीश चंद्र सक्सेना के कर कमलों से सम्मानित, सर्व भाषा ट्रस्ट की ओर से  सर्व भाषा सम्मान 2018 और तथागत अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक सम्मान 2018, मुंशी प्रेमचंद साहित्य सम्मान, डा. रघुवंश स्मृति सम्मान आदि प्रमुख हैं।
          आपकी  चर्चित पुस्तकों में अनमोल जिंदड़ी (डोगरी कविता संग्रह, 1996), पैहली गैं ( कविता संकलन संपादन,2002), लोक धारा ( लोकवार्ता पर शोध कार्य,2007), आओ डोगरी सिखचै( Dogri Script, Phonetics and Vocabulary,2008), बस तूं गै तूं ऐं (डोगरी कविता संग्रह,2008), डोगरी व्याकरण(2009), Dogri Phonetic Reader (2010), मियां डीडो (अनुवाद,नाटक,2011), डोगरी भाषा ते व्याकरण (2011), पिण्डी दर्शन (हिन्दी,2012), देवी पूजा विधि विधान: समाज सांस्कृतिक अध्ययन ( अनुवाद, 2013), बाहगे आहली लकीर ( अनुवाद, संस्मरण 2014), सुधीश पचौरी ने आक्खेआ हा ( अनुवाद, कहानी संग्रह,2015), दस लेख (लेख संग्रह ,2015), मनुखता दे पैहरेदार लाला जगत नारायण ( अनुवाद , जीवनी,2015), घड़ी ( अनुवाद, लम्बी कविता, 2015), समाज-भाशाविज्ञान ते डोगरी (2015), साहित्य मंथन ( हिन्दी आलोचना, 2016), शोध ते परचोल (डोगरी आलोचना, 2016), डोगरी व्याकरण ते संवाद कौशल (2016), भारती इतेहास दा अध्ययन :इक परीचे (डी.डी. कोसंबी की मूल अंग्रेजी पुस्तक का डोगरी में अनुवाद,2017), साहित्य मंथन (हिन्दी शोध लेख, 2017), असली वारिस ( राज राही के डोगरी कहानी संग्रह का हिंदी अनुवाद 2018), छुट्टियां ( बाल उपन्यास, 2018) प्रमुख हैं। इसके इलावा आपके हजारों लेख, शोध पत्र, कहानियां, लघु कथाएं एवं कविताएँ समय समय पर राज्य, राष्ट्र एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
     आपने कई राष्ट्रीय स्तर की कार्यशालाओं, संगोष्ठिओं, सम्मेलनों, कवि सभाओं एवं साहित्यक कार्यक्रमों में प्रभावपूर्ण भागीदारिता की है। आप कई साहित्यक पत्रिकाओं में बतौर सम्मानित संपादक कार्यरत हैं जिनमें अमर सेतु (हिन्दी), डोगरी अनुसंधान, (डोगरी), सोच साधना (डोगरी), परख पड़ताल (डोगरी) प्रमुख हैं।
     आपको कई साहित्यक, सांस्कृतिक एवं समाजिक संस्थाओं ने समय समय पर सम्मानित किया है जिनमें  राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, राष्ट्रीय कवि संगम, डुग्गर मंच, डोगरी भाषा अकैडमी, डोगरी कला मंच, तपस्या कला संगम, त्रिवेणी कला कुंज, हिंद समाचार पत्र समूह, जम्मू कश्मीर अकैडमी आफ आर्ट , कल्चर एंड लैंग्वेजिज आदि प्रमुख हैं।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।