Read Time50 Second

सत्य पराजित है खड़ा , झूठ का होता सम्मान।
मान अपमान के भवर में डूब रहा सच्चा इंसान।।
नैया सच की है डोलती और खिवैया झूठो का यार।
जब नैया डुबाये खिवैया ही फिर कैसे हो नैया पार।।
चल रहा चाल झूठ अब ,कर देगा सच को बेजार।
ठगते इस संसार मे रोज सच पर होता अत्याचार।।
चापलूसी के दौर में क्या सच अकेला पड़ जाएगा।
विश्वास का सूरज क्या कभी कहीं से नजर आएगा।।
उम्मीदों की डोर को कभी भी सच ना छोड़ता।
झूठ मजबूत हो मगर एक दिन जरूर दम तोड़ता।।
#नीरज त्यागी*ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश )
Post Views:
539