शून्य नहीं था ,प्यार था..

0 0
Read Time2 Minute, 14 Second
atul kumar
जो शेष बच गया शून्य नहीं था ,प्यार था..
जीवन शान्त कोलाहल का एक ज्वार था
दुख की सीमा सन्तापों में
सुख के अप्रतिम प्रलापो में
शब्दो से विचलित भावो में
सकुचे सिमटे से बाहो में
सुख का झीना संसार था
जो शेष बचा गया शून्य नहीं था, प्यार था..
पनघट से पनिहारीन रूठी
पतझड़ में अमराई डूबी
मोती ढूलक चले वनपथ पर
कवि से वो कविताई छूटी
सुख की दुख का अवगुन्ठन पहने
जीवन का विस्तार था
जो शेष बच गया शून्य  नहीं था,प्यार था..
भावों की जब मनका गूंथी
शब्दों के आगे बेबस था
सपनो की जब जब आहूति दी
अपनो के आगे बेबस था
तेरा रूक कर मुड़ जाना ही
कमेरा असीम विस्तार थी
जो शेष बच गया शून्य नही था, प्यार था..
वो अंधेरे की आहट थी
मैं रूकता ना तो क्या करता?
हाथों से अगुलियां फिसल गयी
ना ठिठका होता गिर पड़ता,
उन आंखो का सहज सलोनापन
मेरा किञ्जित आधार था
जो शेष बच गया शून्य नहीं वो प्यार था..
जीवन शान्त कोलाहल का एक ज्वार था..

नाम-अतुल कुमार पाण्डेय ‘यायावर’

पता-ग्राम पोस्ट बभनौली पाण्डेय,थाना-लार जिला देवरिया उत्तर प्रदेश।
शिक्षा-गणित परास्नातक,शिक्षा स्नातक
कार्यक्षेत्र-प्रवक्ता,श्री रैनाथ ब्रह्मदेव स्नातकोत्तर महाविद्यालय सलेमपुर देवरिया उत्तर प्रदेश
विधा-कविता
सम्मान-कमल की कलम से ‘मजदूर’ कविता केलियेसम्मानित
प्रकाशन-हिन्द युग्म प्रकाशन से हाईकु संग्रह “शत हाईकुकार”२०१६ मे प्रकाशित।
 “कविता मेरे लिये भाव सम्यक दृष्टि है”

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

थरथराहट

Thu Sep 13 , 2018
थरथराहट जब भी गुजरता हूँ पुल पर से थरथराहट सी होती है देखा है मैंने जितना मैं थरथराता हूँ उतना ही थर्रा जाता है पुल भी उसे भी भरोसा नहीं है अपने रचनाकार पर मुझे भी अब नहीं रहा क्योंकि उस ऊपर वाले रचनाकार का कोई पता भी नहीं है […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।