*घूँघट प्रथा*

0 0
Read Time2 Minute, 22 Second

babulal sharma
.                      ~~~
1…
घूंधट  पर्दा  री  प्रथा, समय  काल अनुसार।
देश अजादी मिल चुकी,अब बदलाव बयार।।
2…..
परदेशी  निजराँ  बचै, बिटिया बहू  हमारि।
लाज शर्म बड़काँन की,घूँघट माहि सँभारि।।
3…..‍♀
जे पढ़लिख जावै नारियाँ,प्रगतिअवसर पाय।
राजनीति अरु नौकरी, बणिज देखती जाय।।
4…..
अब तो घूँघट छोड़कर,करो  विकासी बात।
लाज शर्म आँख्यान  की, घूँघट तो आघात।।
5…..
करो नौकरी  ठाठ सूँ राजनीति  व्यौपार।
मर्यादा  पालन  करो, सदाचार  व्यौहार।।
6…..
बेटी संग में बींदणी, पढ़बा लिखबा जाय।
स्कूटी या साईकिलाँ, खुद ही लेव चलाय।।
7…..‍♀
मोटर कार चलाण रो, खूब हुयो अभ्यास।
घूँघट मैं रहताँ  कियाँ, करती सबै प्रयास।।
8…..
छोड़ सकै नही रीत तो,कम सूँ कम कर लेव।
सत  मरयादा   राखताँ,  बदलो   घूँघट  टेव।।
9…..‍♀
दुनिया  आकाशाँ  चढ़ै, चन्दा पै घर लेय।
आपाँ  घूँघट काढ़ कर, काँई नतीजो देय।।
10….‍♀‍♀
प्रतियोगी युग चालतो, नहीं बोदाँ को सीर।
बढ़  आगै  तैयार  व्है,  छोड़ो  घूँघट  पीर।।
11……
महिलाँ खूब विकास हो,शिक्षित हो बहु,सास
शरमा  बाबू  लाल  री , सबसूँ  या  अरदास।।

नाम– बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का ‘’दुष्यंत कुमार पुरस्कार’’ अभिनव अरुण को संग्रह’’बदल बंद लिफ़ाफ़े हैं’’ को

Sat Sep 1 , 2018
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के वर्ष २०१७ के घोषित पुरस्कारों में समकालीन ग़ज़ल के सशक्त हस्ताक्षर अभिनव अरुण को उनके ग़ज़ल संग्रह ‘’बादल बंद लिफ़ाफ़े हैं ‘’ के लिए प्रतिष्ठित ‘’दुष्यंत कुमार पुरस्कार’’ प्रदान किया किया गया है | आगामी १४ अक्टूबर २०१८ को आयोजित समारोह में पुरस्कार स्वरूप प्रमाण […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।