आज फिर जीने की तम्मना है

0 0
Read Time1 Minute, 40 Second
garima sinh
कोई धुन खुशी का बजाकर तो देखो,
कभी बेवजह मुस्कुरा कर तो देखो,
ये दुनियाँ तुम्हारे कदम चुम लेगी
कदम एक आगे बढ़ाकर तो देखो!!
कोई धुन खुशी का…………
ये नदियों का कल,कल, हवाओं का सन, सन
तुम्हे भी कोई गीत लगने लगेगा
कोई प्रेम का गीत गाकर तो देखो!!
कोई धुन खुशी का…….
यूँ फूलों का बगियाँ में खिलकर के हँसना,
ये बादल का बिन मौसम बरसना,
नज़ारे तुम्हें भी यूं रंगी लगेंगे,
मोहब्ब का रंग दिल पर चढ़ा कर तो देखो !!
कोई धुन खुशी का……….
ये तितली का फूलों पे मड़राते रहना,
ये भैरों का कालियों का गुण गाते रहना,
तेरे दिल का आँगन महकने लगेगा
कोई ख्वाब सुंदर सजाकर तो देखो!!
कोई धुन खुशी का ……
मिले पल खुशी का तो जी भर के जीना,
नही दर्द के घुट पल ,पल तू पीना
फ़िज़ा खूबसूरत तुम्हें भी लगेगी
कभी दिल किसी से लगाकर तो देखो
कोई धुन खुशी का बजाकर तो देखो,
कभी बेवजह मुस्कुरा कर तो देखो!!
#गरिमा सिंह
परिचय- 
नाम-  गरिमा अनिरुद्ध सिंह
साहित्यिक उपनाम-मधुरिमा
राज्य-गुजरात
शहर-सूरत
शिक्षा- एम ए प्राचीन इतिहास
कार्यक्षेत्र-शिक्षण
विधा – हास्य ,वीर रस ,शृंगार

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

महत्वाकांक्षा

Thu Aug 30 , 2018
“प्यार की मजार पे चढ़ाए गए फूल भी फूल ही होते हैं,जो  बीतते वक़्त के साथ मुरझाने लगते हैं। जो फूल कभी अपनी खुशबू के लिए प्रेयसी के बालों में झूमा करते हैं, वो दिन बदलते ही किसी चौराहे पे अपरिचित की तरह दुत्कार दिए जाते हैं” दिव्या और संभव […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।