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रोशनी चुभने लगी है आँखो में,
एक अरसे से अंधेरे में रहा हूँ मैं,
सपने आते ही नही अब सोने पर,
एक अरसे से सोया नही हूँ मैं,
मुस्कुराहट आती है,दर्द लिए चेहरे पर,
एक अरसे से खुलकर हँसा नही हूँ मैं,
समय बीत रहा जीवन का बड़ी तेजी से,
एक अरसे से जहाँ रुका था वहीं हूँ मैं,
अल्फ़ाजो के नश्तर अब चुभते ही नही है,
एक अरसे से एहसास खत्म हो गए मेरे,
आँशुओ की नमी अब आँखो में नही है,
एक अरसे से दिल के अंदर ही रोया हूँ मैं,
#नीरज त्यागीग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश )
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